अनावश्यक नियम बने रोड़ा, नहीं मिल रही नुकसान भरपाई
वाशिम
राष्ट्रीय कृषि बीमा योजना के तहत किसानों से बीमा कराने का आवाहन हर स्तर पर जरूर किया जा रहा है, मगर इसका लाभ लेनेवाले किसान ही योजना के प्रति उदासीन नजर आ रहे हैं. इसका कारण वे नियम ही हैं जिनके चलते नुकसान होने के बाद भी किसानों को बीमा का लाभ नहीं मिल पाता. वाशिम के सेवानिवृत्त प्राध्यापक और किसान डी. डी. सोमाणी पिछले दो साल से उनके खेत के पास से बहने वाले नाले में बाढ़ आने और फसलों के नुकसान से परेशान हैं, मगर अधिकारी बीमा-लाभ देने से साफ मना करते रहे हैं. प्रा. सोमाणी ने तो किसानों की आत्महत्या के लिए इसी प्रवृत्ति को दोषी ठहराया है.
बीमा निकालते वक्त सब्जबाग
जिले में फ़िलहाल जिला परिषद पदाधिकारी, सरकारी अधिकारी और बीमा कंपनी के अधिकारी भी किसानों से फसल बीमा कराने का आवाहन कर रहे हैं. बीमा निकालते वक्त किसानों को कई सब्जबाग दिखाए जाते हैं. उनसे भारी-भरकम प्रीमियम भरवाया जाता है, मगर नुकसान होने पर अधिकारी भुगतान करने से साफ मना कर देते हैं. प्रा. सोमाणी इसके जीते जागते गवाह हैं.
नुकसान 50 प्रतिशत से अधिक और भरपाई 10 फीसदी
प्रा. सोमाणी का खेत स्थानीय पद्मतीर्थ तालाब के पास है. उनके खेत से शहर के दो बड़े नाले भी गुजरते हैं. हर साल इन नालों में बाढ़ आती है और उनकी फसल बहा ले जाती है. इसी के चलते प्रा. सोमाणी ने 20 हजार रुपए प्रीमियम भरकर फसल बीमा कराया. वर्ष 2012 में आई बाढ़ में उनका भारी नुकसान हुआ. कंपनी ने जांच -पड़ताल की. नुकसान 50 फीसदी से अधिक होने की बात रिपोर्ट में बताई गई. लेकिन जब नुकसान की राशि दी गई तो वह केवल 10 प्रतिशत ही थी.
नुकसान भरपाई देने से साफ मना
वर्ष 2013 में तो बीमा कंपनी के प्रतिनिधियों ने गजब ही कर दिया. नाले में बाढ़ आई, फसल बह गई. बीमा अधिकारियों ने मुआयने के बाद कहा-नुकसान 90 प्रतिशत से अधिक हुआ है, मगर नुकसान भरपाई देने से साफ मना कर दिया. कारण बताया -नुकसान बाढ़ से नहीं बल्कि अतिवृष्टि से हुआ है, इसलिए नुकसान भरपाई नहीं मिल सकती. प्रा. सोमाणी इस मामले को दिल्ली तक ले गए, मगर कुछ नहीं हो पाया.