महज 12 दिनों में जीर्णोद्धार का काम पूर्ण
वर्धा
बापू कुटी के जीर्णोद्धार का काम महज 12 दिनों के भीतर सेवाग्राम आश्रम प्रतिष्ठान क़ी ओर से पूरा कर लिया गया. जीर्णोद्धार- कार्य में 10 स्थानीय कामगारों ने सहयोग दिया. सेवाग्राम स्थित महात्मा गांधी का यह निवास दुनिया भर के पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र है. जीर्णोद्धार के बाद बापू कुटी को नया स्वरूप प्राप्त हो गया है.
40- 50 साल तक बढी उम्र
सेवाग्राम आश्रम प्रतिष्ठान के अध्यक्ष जयवंत मठकर और सचिव डॉ. श्रीराम जाधव ने बताया कि 1936 में स्थानीय सामग्री का उपयोग कर महात्मा गांधी के लिए बापू कुटी बनाई गई थी. स्थानीय मजदूरों ने ही बापू कुटी का निर्माण किया था. आश्रम प्रतिष्ठान ने इस परंपरा को बरकरार रखा. 1984 में बापू कुटी की मामूली मरम्मत का काम किया गया था.
दुनिया को शांति, सत्य और अहिंसा की शिक्षा देने वाले महात्मा गांधी की बापू कुटी की कवेलू की छत की मरम्मत अत्यंत आवश्यक होने के कारण ही कुटी में बिना किसी बदलाव के यह काम किया गया. इस मरम्मत से बापू कुटी की उम्र 40 से 50 साल तक बढ़ गई है.
बापू कुटी को 78 साल पूर्ण
स्वतंत्रता संग्राम को वर्धा से चलाने के उद्देश्य से 30 अप्रैल 1936 को गांधीजी सेवाग्राम आए थे. ग्रामीणों के साथ रहते हुए 100 रुपयों में स्थानीय सामग्री का इस्तेमाल कर घर बनाने की अवधारणा बापू ने रखी. ग्रामीणों ने 500 रुपए तक खर्च करने की अनुमति गांधीजी से हासिल कर ली. इसके बाद बापू कुटी बनी. उसी बापू कुटी को आज 78 साल पूर्ण हो चुके हैं.
बांस, बल्लियां, लकड़ी, सफेद मिट्टी का उपयोग
बापू कुटी का निर्माण बांस, सागवान की बल्लियां और सफेद मिट्टी से किया गया है. छत पर मिट्टी के देशी कवेलुअों क़ा उपयोग किया गया है. मरम्मत के लिए 5 हजार 500 कवेलू, 375 बांस, 39 सागवान बल्ली, 77 बांस की चटाई और 170 फुट लकड़ी के बत्ते का इस्तेमाल किया गया. चार बढ़ई और उनके चार सहयोगियों के अलावा आश्रम के 15 सेवकों ने भी श्रमदान किया. तीन महिलाओं ने सफेद मिट्टी से दीवारों की लिपाई की. अशोक गिरी और प्रशांत ताकसांडे ने भी सहयोग दिया.