Published On : Sat, Jun 30th, 2018

राजनेता, कार्यकर्ता और पत्रकारों के कॉकटेल से चलता है वरोरा में ‘रेत तस्करी का इंजन’

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नागपुर: प्रशासन के नाक के नीचे विगत कई माह से वरोरा के करंजी गांव के पास वर्धा नदी के तट से बड़े पैमाने पर रेत माफिया रेत तस्करी में सक्रीय हैं. इस पूरे खेल में राजनेता, सामाजिक कार्यकर्ता और पत्रकार आदि के कॉकटेल के आगे प्रशासन नतमस्तक होता दिखाई दे रहा है. नाम मात्र कार्रवाई का ढिंढोरा पीट लोगों की आंखों में धूल झोंकने का प्रयास किया जा रहा है. अत्याधिक रेत निकाले से नदी पर बावजूद बांध होने पर भी नागरिकों की जान पर खतरा मंडरा रहा है.

रेत माफिया बड़े पैमाने पर नदी से रेत निकाल कर उसका संचय करते जा रहे हैं.बरसात में नदी में पानी भरने से रेत निकालना मुश्किल हो जाता है. साथ ही निर्माण कार्य के लिए लगने वाली रेत के दाम भी दुगने हो जाते हैं. इस डिमांड और सप्लाई के बिगड़े तालमेल के हालात को रेत माफ़िया हर कीमत में कैश करने की होड़ में लगे रहते हैं. इसका सबूत वरोरा तहसील परिसर में जहां तहां तस्करों द्वारा जगह-जगह पर डाले गए रेत के ढेर देखे जा सकते हैं. खास बात यह है कि पुलिस और प्रशासन को इस संबंध में पूरी जानकारी होने के बाद भी अब तक किसी पर ठोस कार्रवाई नहीं की गई.

जानकारी के अनुसार इस तस्करी में राजनेता, सामाजिक कार्यकर्ता एवं पत्रकार लिप्त होने से इस प्रकरण में कार्रवाई के नाम पर लीपापोती का कार्य जारी है. कुछ दिनों पहले रेत तस्करों पर नजर रखने के लिए ड्रोन कैमरा का भी इस्तेमाल किया गया था. लेकिन अब वह भी धूल खाते नजर आ रहा है. प्रशासन द्वारा ऐसे रेत के ढेर पकड़कर उसकी नीलामी करता है. लेकिन असल में रेत माफिया अपने ही ढेर प्रशासन को सौंप देते हैं. उसी एक ढेर के नाम पर प्रशासन की आपसी मिलीभगत के चलते रेत माफिया अपना कारोबार चला रहे हैं.

वर्धा नदी से अब तक लाखों ब्रास रेत निकाली जा चुकी है. रेत माफिया दिनोंदिन गब्बर बनते जा रहे हैं. प्रशासन पूरी तरह रेत माफिया के कब्जे में होने से सरकार के राजस्व को चूना लग रहा है. जिला प्रशासन को इस ओर ध्यान देने की आवश्यकता और सख्त कार्रवाई करने की उम्मीद नागरिकों की है.