Published On : Thu, Oct 18th, 2012

मोघे हाईकोर्ट की शरण में – Dainik Bhaskar

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सामाजिक न्याय व नागपुर शहर के पालकमंत्री शिवाजीराव मोघे ने उनके विरुद्ध जिला अदालत के समक्ष चल रहे धोखाधड़ी के प्रकरण को खारिज करने की प्रार्थना उच्च न्यायालय की नागपुर खंडपीठ से की है। उनके द्वारा प्रस्तुत की गई याचिका पर शीघ्र ही सुनवाई होगी। याचिका में बताया गया है कि यवतमाल जिला अदालत के समक्ष अय्यूदीन शामउद्दीन सोलंकी ने उनके विरुद्ध 42 लाख रुपए की धोखाधड़ी करने का आरोप लगाते हुए फौजदारी प्रकरण पेश किया है। अदालत ने इसका संज्ञान लेकर याचिकाकर्ता अर्थात शिवाजीराव शिवराम मोघे, उनके भतीजे विजय आनंद मोघे तथा उनके निजी सचिव देवानंद नरसिंह पवार के विरुद्ध प्रोसेस (सम्मन) जारी किया है। जिला अदालत को शिकायत कर्ता ने बताया है सन् 2000 के दौरान शिवाजीराव मोघे परिवहन रोजगार व स्वयं रोजगार मंत्री थे। उस वक्त शिकायतकर्ता ने आश्रम शाला चलाने की अनुमति हेतु आवेदन किया था। उस वक्त शिवाजीराव के भतीजे विजय ने कहा था अनुमति देने के लिए मंत्री 12 लाख रुपए मांग रहे हैं। इन 12 लाख में से दस लाख वे रखेंगे तथा एक-एक लाख विजय तथा देवानंद के होंगे। शिकायतकर्ता कुछ दिनों के बाद शिवाजीराव के घर गया और उसने शिवाजीराव को 12 लाख रुपए दिए। जिस वक्त शिकायकर्ता ने शिवाजीराव को पैसे दिए थे, तब उसके साथ उसके मित्र चंद्रमणि कवाड़े, अरविंद कुलसंगे तथा प्रफुल्ल नगराले भी थे। कुछ समय पश्चात् जब वह आश्रमशाला की अनुमति के संदर्भ में पूछताछ करने शिवाजीराव के घर पहुंचा तो उसे कहा गया कि यदि वह चाहे तो उसे डी. एड. पाठ्यक्रम (मराठी) चलाने की भी अनुमति मिल सकती है, जिसके लिए उसे शिवाजीराव को 25 लाख रुपए तथा विजय व देवानंद को ढाई-ढाई लाख देने होंगे। शिकायतकर्ता ने उन्हें डी. एड. की अनुमति के लिए 30 लाख रुपए और दे दिए। परंतु उसे न तो आश्रमशाला की अनुमति मिली और न ही डी. एड. पाठ्यक्रम की। पैसा वापस मांगने पर मोघे ने जब पैसा नहीं लौटाया तो शिकायतकर्ता ने जिला अदालत के समक्ष शिकायत पेश की, जिस पर जिला अदालत ने संज्ञान लेकर प्रकरण की सुनवाई शुरू कर दी है।