Published On : Thu, Jul 24th, 2014

बुलढाणा : विधायक की शिकायत पर संपादक गिरफ्तार

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जमानत पर छोड़ा, बुलढाणा शहर की घटना


झूठे आरोप में फंसाने का संपादक का आरोप


बुलढाणा

विधायक विजयराज शिंदे के खिलाफ कथित बदनामी करनेवाली खबर प्रकाशित करने की शिकायत पर पुलिस ने दैनिक ‘विश्वविजेता’ के संपादक चंद्रकांत बर्दे को गिरफ्तार कर लिया. बाद में उन्हें जमानत पर छोड़ दिया गया. उधर, बर्दे ने आरोप लगाया कि नगर पालिका अध्यक्ष के चुनाव के दौरान खबरें प्रकाशित करने से नाराज होकर विधायक शिंदे ने उन्हें झूठे आरोपों में फंसाया है. इस घटना से शहर और राजनीतिक क्षेत्रों में खलबली मच गई है.

खबर निराधार, बदनामी के उद्देश्य से प्रकाशित
प्राप्त जानकारी के अनुसार दैनिक विश्वविजेता में छपी एक खबर के बाद कल उनके निजी सहायक गुड्डू येमले ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई. शिकायत में कहा गया था कि उक्त खबर निराधार हैं और बदनामी के उद्देश्य से प्रकाशित की गई है. पुलिस ने मामला दर्ज कर बर्दे को गिरफ्तार कर आज जमानत पर छोड़ दिया.

पत्रकारों ने विरोध दर्ज कराया
इस बीच, इस घटना के बाद बुलढाणा शहर के पत्रकारों ने जिला पुलिस अधीक्षक श्यामराव दिघावकर से भेंट कर राजनीतिक दबाव के तहत दर्ज मामले को वापस लेने की मांग की. दूसरी तरफ, चंद्रकांत बर्दे ने इस घटना के संबंध में पत्रकारों को बताया कि बुलढाणा नगर पालिका के अध्यक्ष पद के लिए हुए चुनाव के समय उन्होंने जो सत्य खबरें छापी थीं उससे विधायक शिंदे उनसे नाराज थे. इसीलिए उनके खिलाफ झूठी शिकायत कर उन्हें फंसाया गया है. उन्होंने पूरे मामले की जांच कर उन्हें न्याय दिलाने की मांग की. बद्रे ने कहा कि वे चुप नहीं बैठेंगे और अन्याय के खिलाफ आवाज उठाते रहेंगे.

खबर में शिंदे का नाम नहीं
चंद्रकांत बर्दे ने पत्रकार परिषद में कहा कि विश्वविजेता’ में छपी खबर में विधायक शिंदे का कहीं कोई उल्लेख नहीं है. उन्होंने शिंदे से सवाल किया कि खबर में जिस ‘लोकप्रतिनिधि’ का जिक्र किया गया है, क्या वे वही हैं? बर्दे ने पत्रकारों को दबाने की इस कार्रवाई की भर्त्सना करते हुए इस घटना को पैसा और दहशत के बल पर दबाने का प्रयास बताया.

आखिर क्या था खबर में ?
खबर में कहा गया था कि, ‘जामनेर और बुलढाणा विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र में जलगांव सीमा पर स्थित फत्तेपुर के निसर्ग ढाबे पर एक जनप्रतिनिधि को इतना पीटा गया कि उनके कपडे तक फट गए.’ बर्दे ने कहा कि इस खबर में न तो किसी समाज का नाम लिखा है और न किसी जनप्रतिनिधि का. फिर शिंदे ने कैसे मान लिया कि यह खबर उन्हीं के बारे में थी? बद्रे ने कहा कि शिंदे को यह खुलासा करना ही चाहिए कि आखिर वह जनप्रतिनिधि कौन था ?

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