हल्दी का भाव बढ़ाए जाने की मांग
नेरी
नेरी परिसर के सिरपुर, मोटेगांव खुटाला, काजलसर, लावारी, केवला इन गांवों मे हल्दी का उत्पादन होता है. लेकिन हल्दी का उचित मूल्य नहीं मिलने के कारण हल्दी उत्पादक किसानों पर विकट परिस्थिति आ गई है.
हल्दी की फसल के लिए काफी मेहनत करनी पड़ती है. दिसम्बर से जनवरी महीने मे हल्दी की कालियां तैयार हो जाती है जिसके बाद उन्हें खोदकर निकाला जाता है. इसके बाद दस से पंद्रह दिन तक हांथों से उसकी घिसाई और सफाइ की जाती है इसके अलावा मशीन से भी ये काम किया जाता है. इन सबके बाद हल्दी को बेचने के लिए बाज़ार ले जाया जाता है.
आज बाज़ार में जो दाम हल्दी उत्पादक किसानों को मिल रहा है उससे किसानों के लिए अपना और अपने परिवार का उदरनिर्वाह काफि मुश्किल हो गया है. हल्दी उत्पादन में लगने वाला खर्च के मुकाबले किसानों को मिलने वाला मूल्य कम होने से अब किसान हल्दी उत्पादन नहीं करने का मन बना रहे है.