Published On : Fri, May 9th, 2014

देसाईगंज : सिंधी समाज को जमीनों के स्थायी पट्टे दे सरकार : मोटवाणी


देसाईगंज

Haridaas Motwani
गढ़चिरोली जिले के देसाईगंज शहर में पिछले कई सालों से रह रहे सिंधी समाज को अधिकार के लिए लड़ना पड़ रहा है. सिंधी समाज को स्थायी पट्टे देने की बार-बार मांग किए जाने के बावजूद प्रशासनिक अधिकारी तथा जन प्रतिनिधि सिर्फ़ आश्वसान दे रहे हैं. अब सिर्फ आश्वासन नहीं, सिंधी समाज को स्थायी पट्टे शीघ्र देने की मांग विदर्भ सिंधी विकास परिषद, गढ़चिरोली के जिलाध्यक्ष हरिदास मोटवानी ने एक प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से की है.

देश के विभाजन के बाद 1948 में देसाईगंज आया सिंधी समाज बुनियादी अधिकार से अब भी वन्चित है.विज्ञप्ति में कहा गया है कि 1948 से देसाईगंज में रह रहे सिंधी समाज को सरकार द्वारा स्थायी पट्टे न देना बड़ा ही दुर्भाग्यपूर्ण है. पिछले 65 साल बीत जाने के बावजूद सरकार द्वारा उस समय दिया गया आश्वसान अब तक पूरा नहीं किया गया है.

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श्री मोटवानी ने बताया कि सरकार द्वारा पाकिस्तान को अखंड भारत से अलग करने के पूर्व सरकार ने कहा था कि सिंध प्रांत में रहने वाले सभी समाज के लोग भारत में जहां चाहें, वहां रह सकतें है. स्थानांतरित होकर भारत आने का आह्वान भी किया गया था. सरकार के आह्वान पर सिंधी समाज सिंध छोड़ भारत में विस्थापित हुआ, बाद में पाकिस्तान का निर्माण हुआ. 1948 में सिंधी समाज के कुछ लोग देसाईगंज रहने आए. जिन्हें रहने की व्यवस्था करने हेतु चंद्रपूर के तत्कालीन जिलाधिकारी देसाई ने 64 परिवारों को 2400 स्क्वेअर फ़ीट भूखंड निवास हेतु दिया. जिसके पश्चात सरकार द्वारा 1985 में उस जगह के मालिकाना अधिकार देने के लिए सिंधी समाज को नोटिस जारी कर तय रक्कम भरने को कहा गया. जिसपर समाज के लोगों ने चालान के ऱूप में तय रक्कम भर दी. किंतु उसके बाद सरकार द्वारा अब तक सिंधी समाज समाज को स्थायी पट्टे नहीं दिए गये.

उन्होंने कहा कि सरकार के इस दुर्भाग्यपूर्ण रवैये के चलते आज भीे सिंधी समाज़ के लोग आपनी बुनियादी अधिकर से वंचित हैं. सिंधी समाज को जमीन के स्थायी हक के मालिकाना पट्टे मुहैया कराने की मांग हरिदास मोटवानी ने सरकार से फ़िर से की है.

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