Published On : Fri, May 9th, 2014

चिमुर : चिमुर के अनेक गांवों में गुम गए शौचालय

Advertisement


पुरस्कार प्राप्त गांवों के हाल ज्यादा ख़राब


चिमुर

‘स्वच्छता से समृद्धि’ का नारा देते हुए राज्य सरकार ने गांव-गांव में ‘खुले में शौच मुक्त’ गांव अभियान चलाया. अनेक गांवों ने निर्धारित मापदंडों को पूर्ण करते हुए इस अभियान में हिस्सा लिया. कुछ गांवों को पुरस्कार मिले, पदाधिकारियों के सत्कार समारोह हुए, मगर अब पुरस्कार प्राप्त गांवों में ही खुले में शौच को बैठे लोग दिखाई देने लगे हैं. लगता है कि इन गांवों में बने शौचालय गुम गए हैं.

बचे सिर्फ़ फलक ही
राज्य सरकार ने वर्ष 2006-07 से खुले में शौच मुक्त गांव (निर्मल ग्राम) योजना प्रारंभ की थी. योजना के तहत शत-प्रतिशत शौचालय और खुले में शौच को नहीं जानेवाले गांवों को पुरस्कार भी दिए गए. इस अभियान के तहत चिमुर तालुका की 98 ग्राम पंचायतों में से अनेक पंचायतों ने हिस्सा लिया. शिवापुर, बंदर, शेंडेगांव, हिवरा, बोडधा और सावरगांव को पुरस्कृत भी किया गया. इन गांवों के सरपंचों ने अपने गांवों में शौचालय भी दिखाए. लगता है ये शौचालय अब कहीें ख़ो गए हैं. इन गांवों में अब केवल ‘खुले में शौचमुक्त गांव’ के बोर्ड तो दिखाई देते हैं, मगर भीतर नजारा कुछ और होता है. सड़क के दोनों तरफ लोग ‘बैठे’ नजर आ जाते हैं.

Gold Rate
15 july 2025
Gold 24 KT 98,200 /-
Gold 22 KT 91,300 /-
Silver/Kg 1,12,500/-
Platinum 44,000/-
Recommended rate for Nagpur sarafa Making charges minimum 13% and above

क्या था उद्देश्य
इस अभियान के पीछे सरकार का उद्देश्य यह था कि गांव स्वच्छ रहें, वहां लोगों का स्वास्थ्य ठीक रहे औऱ शत-प्रतिशत शौचालयों का उपयोग किया जाए. इस अभियान पर सरकार ने करोड़ों रुपया खर्च किया. सरकार को नियमों का उल्लंघन करनेवालों के खिलाफ सख़्ती से कार्रवाई की जानी चाहिए.

नियमों के उल्लंघन पर क्या है कानून
-ग्राम पंचायत पदाधिकारियों के पास शौचालय नहीं होने पर उसकी सदस्यता रद्द की जा सकती है.
-खुले में शौच को जाने वाले नागरिक पर 1200 रुपए जुर्माना.

Representational Pic

Representational Pic

Advertisement
Advertisement