नागपुर: शीतसत्र अधिवेशन के दौरान उपमुख्यमंत्री का बंगला देवगिरी किस मंत्री को आवंटित होगा। इस बात पर सबका ध्यान लगा था। चुकी वर्तमान में राज्य में उपमुख्यमंत्री है नहीं इसलिए उत्सुकता कुछ ज्यादा ही थी। देवगिरी बंगले को लेकर अब सस्पेंस ख़त्म हो चुका है। यह बंगला राजस्व और सहकार मंत्री चंद्रकांत दादा पाटिल को आवंटित हुआ है।
मुख्यमंत्री के रामगिरी बंगले के बाद देवगिरी बंगले का महत्त्व है। ऐसा माना जाता है की देवगिरी में जो मंत्री रहता है वह सीधे तौर पर सरकार में नंबर दो की पोजिशन रखता है। यानि साफ है फ़िलहाल सरकार में मुख्यमंत्री के बाद दादा की ही तूती बोलती है। दादा इस समय सरकार के लिए संकटमोचन की भी भूमिका है सरकार को मुश्किल में डालने वाले मसलो का हल निकालने की जिम्मेदारी पाटिल के ही कंधो पर है।
देवगिरी बंगला लंबे वक्त से दादा के ही पास रहा है। पिछली सरकार में भी देवगिरी राष्ट्रवादी के नेता और दादा के नाम से पहचाने वाले अजित पवार के पास था। इस बार ये बीजेपी के दादा चंद्रकांत पाटिल के पास। पाटिल को दिया जाना साफ करता है की सरकार में उनका वजन एकनाथ खडसे के जाने के बाद बढ़ा है। हालांकि जब खड़से सरकार में थे तब भी उन्होंने इस बंगले को हासिल करने का खूब प्रयास किया। सरकार बनने के बाद पहले वर्ष उन्हें बंगला नहीं दिया गया लेकिन दूसरी बार उनका हठयोग काम आया और अधिवेशन के दौरान उन्होंने बंगले में रहने का आनंद भी लिया। खबर है की पाटिल को विधान परिषद का नेता बनाया जा सकता है।
देवगिरी के आवंटन के बाद खबर की पुष्टि होते हुए दिखाई देती है। इसके अलावा मंत्रियो के लिए रविभवन में बने कॉटेज का भी आवंटन कर दिया गया है। शिक्षा मंत्री विनोद तवाडे को पिछले दो बार से आवंटित कॉटेज क्रमांक 1 ही दिया गया है। ख़ास बात है इस बार किसी भी मंत्री ने देवगिरी की माँग खुद होकर नहीं की थी।