Published On : Thu, Mar 6th, 2014

चंद्रपुर – न्यूनतम वेतन अधिनियम भंग करने का आरोप

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चंद्रपुर –  पेपर उद्योग में अग्रणी बल्लारपुर के में. बिल्ट ग्राफिक पेपर प्रॉडक्ट लिमी. पर राज्यसरकार ने न्यूनतम वेतन अधिनियम भंग करने के विषय पर न्यायालय में मुकदमा दाखल किया। बिल्टपर अभी तक सरकार के तरफ से मुकदमों की संख्या ३७ तक पहुच गई है। गौरतलब है की सरकार के कामगार विभाग के तरफ से कारवाई होने से बिल्ट पर सरकार का ध्यान नहीं ऐसी चर्चा कामगारों में शुरू है।

में. बिल्ट पेपर प्रॉडक्ट लिमी. कंपनी के माध्यम से में. बिल्ट महिला उद्योग सहकारी संस्था कार्यरत है। इस उद्योग में आने वाले कामगारों ने सहाय्यक कामगार आयुक्त के तरफ राज्य राज्य सरकार के दिशानिर्देश के नुसार न्यूनतम वेतन ना निलने की तक्रार कई बार की थी। इस तक्रार को मद्दे नजर रखते हुए सरकारी कामगार अधिकारी संध्या पंदोरे इन्होने २३ अक्टुबर २०१३ को बिल्ट महिला उद्योग की जांच की। जांच के दौरान न्यूनतम वेतन अधिनियम १९४८ के अनेक कलम का उल्लंघन किया जा रहा है ऐसा नजर आया। कामगारों का हजेरी वेतन रजिस्टर का ना होना , हजेरी कार्ड ना देना, अस्थापना में निरीक्षण किताब ना होना, कामगारों का वेतन धनादेश बैंक द्वारा ना होना ऐसे अनेक प्रकार सरकारी कामगार अधिकारिओं को नजर आए। आस्थापना में कामगार अधिनियम भंग का आरोप राज्य सरकार के तरफ से सरकारी कामगार अधिकारियों ने किया इसी प्रकार बिल्ट ग्राफिक पेपर प्रॉडक्ट लिमी. के महाव्यवस्थापक आनंद बर्वे पर कारवाई होनी चाहिए इसके लिए पहले चरण न्यायदंडाधिकारी के पास मुकदमा जारी किया है। अब तक राज्य सरकार की तरफ से दाखल मुकदमें की संख्या ३७ होने के बाद क्या होता है इसके तरफ सबका ध्यान लगा है।

कामगारों का शोषण हो रहा है यही सबुत 

में. बिल्ट पेपर प्रॉडक्ट लिमी. के ही नहीं तो जिले में अनेक उद्योगो में सभी कामगारों का शोषण शुरू है। कायदा कितना भी कठोर क्यों न हो तभी भी कोई भी करवाई होते हुए नजर नहीं आ रही है। कैबिनेट व राज्यमंत्रीओं ने निर्देश देने के बावजूद भी यहा के कामगार आयुक्त व्यवस्थापन पर कारवाई करने में आगे पीछे देखते है। इसी लिए कायदों पर करवाई करेगा कोन ऐसा महत्वपूर्ण प्रश्न है। कामगारों ने सबुत के साथ सब सिध्द करने के बाद भी कामगार विभाग से पत्रव्यवहार किया जाता है। कामगार मंत्रियों के पत्र को भी नजर अंदाज किया जाता है। विदर्भ प्रहार संघटना ने कामगार कायदों का उल्लंघन हो रहा है ऐसे अनेक सबुत पेश किये। इसके आधार पर जांच करके सरकार ने मुकदमे दाखल किये। इन मुकदमों में कामगारों का शोषण हो रहा है। ऐसी प्रतिक्रिया एड्वोकेट. हर्षलकुमार चिपळुनकर इन्होने दी।