Published On : Sat, Jun 21st, 2014

चंद्रपुर को बीमार करने वाली बिजलीघर की दो यूनिटें बंद करो

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सांसद हंसराज अहीर की केंद्र सरकार से मांग


प्रकाश जावडेकर से मिले, चंद्रपुर आने का न्यौता दिया


चंद्रपुर

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पिछले कुछ सालों में चंद्रपुर जिले की पहचान एक औद्योगिक जिले के रूप में होने लगी है. जिले में बढ़ते उद्योग, ताप बिजलीघर और चंद्रपुर महाऔष्णिक विद्युत केंद्र की पहली तथा दूसरी यूनिट के बहुत पुरानी होने के कारण चंद्रपुर शहर देश में सर्वाधिक प्रदूषित शहरों में गिना जाने लगा है. चंद्रपुर के निवासियों के स्वास्थ्य के लिए घातक साबित हो रहे यूनिट क्रमांक 1 व 2 को बंद करने की मांग सांसद हंसराज अहीर ने केंद्रीय पर्यावरण व वन मंत्री प्रकाश जावडेकर से की है. अहीर ने हाल में जावडेकर से दिल्ली में भेंट कर यह मांग की.

प्रदूषण का खतरनाक स्तर
महाराष्ट्र प्रदूषण मंडल ने भी चंद्रपुर महाऔष्णिक केंद्र की पहली और दूसरी यूनिट को चंद्रपुर शहर में प्रदूषण के लिए जिम्मेदार ठहराते हुए इन्हें बंद करने की सिफारिश की है. प्रदूषण का स्तर 100 एमजी/एनएम3 तक तो चल जाता है, मगर इन यूनिटों का प्रदूषण का स्तर 383.91 व 642.92 एमजी/एनएम3 है. इससे समझा जा सकता है कि चंद्रपुर का प्रदूषण बढ़ाने में इन यूनिटों का योगदान कितना बड़ा है. इसके चलते चंद्रपुर में विभिन्न बीमारियों ने पैर पसार रखे हैं.

149 लोग प्रदूषण की भेंट चढ़े
अहीर ने मंत्री महोदय को बताया कि राज्य प्रदूषण नियंत्रण मंडल और चंद्रपुर जिला शल्यचिकित्सक द्वारा हाल में प्रस्तुत एक रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले चार सालों में चंद्रपुर जिले में 149 लोग प्रदूषण की भेंट चढ़े हैं. अलावा इसके 78 हजार से अधिक नागरिक सांस से संबंधित विभिन्न बीमारियों की चपेट में हैं. इसमें छोटे बच्चे और वृद्ध नागरिकों की संख्या अधिक है. कहा जा सकता है कि प्रदूषण के चलते शहर और जिले की भावी पीढ़ी का स्वास्थ्य खतरे में पड़ गया है.

पीने लायक नहीं रहा नदियों का पानी
इसके साथ ही चंद्रपुर-यवतमाल जिले में बहने वाली वर्धा, इरई, झरपट नदियों और वणी की निर्गुडा नदी भी बड़े पैमाने पर प्रदूषित हो चुकी हैं. वेकोलि द्वारा नदियों के तट पर डाले जाने वाले ओवरबर्डन, औष्णिक विद्युत केंद्र से निकलने वाली राख, गरम पानी और पेपर मिल से निकलने वाले दूषित पानी के कारण जिले की नदियां प्रदूषित हो चुकी हैं और इनका पानी अब पीने लायक नहीं रह गया है. इसी के चलते सरकार ने जिले की अनेक जलापूर्ति योजनाओं को बंद कर दिया है. इसका परिणाम यह हुआ है कि अनेक गांवों के नागरिकों को भीषण जलसंकट से जूझना पड़ रहा है. जिले की नदियों-नालों के बदले प्रवाह के लिए भी वेकोलि द्वारा नदियों के तट पर डाला गया ओवरबर्डन ही जिम्मेदार है. जिले के उद्योग भी अपना सारा वेस्टेज नदियों में ही डालते हैं. इसके चलते जल-प्रदूषण भी गंभीर हो गया है.

केंद्र सरकार निधि दे
सांसद अहीर ने चंद्रपुर-यवतमाल जिले और प्रमुख रूप से घुग्घुस व वणी के हवा-पानी के प्रदूषण का सर्वेक्षण सेंट्रल पोल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के विशेषज्ञों से कराने और इन समस्याओं से निपटने के लिए केंद्र सरकार द्वारा निधि का प्रावधान करने की मांग भी की है. चंद्रपुर व यवतमाल के जिलाधिकारियों को पत्र लिखकर उन्होंने केंद्र सरकार से निधि की मांग का प्रस्ताव पेश करने का निर्देश भी दिया है.