Published On : Tue, Jul 15th, 2014

गोंदिया : अगर विकास है तो, हम सड़कों पर क्यों?

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-हमें जनता का जनप्रतिनिधि चाहिए, राजशाही दिखाने वाला हिटलर नहीं- अषोक( गप्पू) गुप्ता.

-जनसमर्थन ऐसा कि, चैराहे-चैराहे पर जबर्दस्त स्वागत, गप्पूमय हुआ गोंदिया.
-साईं मंदिर की चैखट से पूजा अर्चना कर हजारों की संख्या में निकला मोर्चा, मामा चैक, माता मंदिर चैक, इंगले चैक, हनुमान मंदिर चैक, नेहरू चैक, खोजा मस्जिद चैक, श्री टाॅकीज चैक, मेनरोड, गोरेलाल चैक,दुर्गा चैक, इसरका मार्केट, चांदनी चैक, गांधी प्रतिमा, प्रभात टाॅकीज, गुरूनानक गेट तथा जयस्तंभ चैक होते हुए आंबेडकर चैक से तहसील कार्यालय पहुंचकर विशाल रूप् में परिवर्तित हो गया.
-युवाओं ने अशोक गप्पु गुप्ता के मुखौटे पहनकर ‘मैं भी गप्पु गुप्ता’ होने का एहसास दिलाया.
-गोंदिया जिला सूखाग्रस्त घोषित करने, धान का भाव 3000 रूपए प्रति क्विटंल करने, कृशिपंप हेतु बिजली मुफ्त में देने, तत्काल अतिवृष्टि और ओलावृष्टि का मुआवजा देने की मांग मोर्चे में पुरजोर तरिके से उठाई गई.
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गोंदिया

Ashok Gupta  (2)
जब मैंने जनचेतना पदयात्रा की शुरूआत कोरणीघाट से की थी और जनता की चेतना को जगाने का कार्य किया तो यहां के विकास पुरूष होने का ढिंढोरा पिटने वाले दिखावे के जनप्रतिनिधी के पेट में दर्द होना शुरू हो गया. मेरी पदयात्रा को निस्वार्थ भाव से देखते हुए जब लोगों का आशीर्वाद प्राप्त होता गया तो, यही नेता भड़ास निकालने के लिए मंच से गुर्राने लगे. इन नेताओं के गुर्राने से मुझे और जनसमर्थन प्राप्त हो गया चूंकि मेरा रास्ता सीधा और साफ था. मैंने जिन जनसमस्याओं के साथ तथा जिन संकल्पों के साथ पदयात्रा को अंजाम दिया, अगर ये काम इन नेताओं के द्वारा कर दिया जाता तो, मैं सड़क पर क्यों उतरता. अगर ये विकास की बातें करते हैं तो, हम सड़क पर क्यों है? हमें इसका जवाब इन गुर्राने वाले नेताओं ने देना चाहिए. हमें जनता का सच्चा प्रहरी,सच्चा जनप्रतिनिधी चाहिए, राजशाही दिखाने वाला हिटलर नहीं. इस प्रकार का प्रतिपादन अशोक (गप्पू) गुप्ता ने विशाल मोर्चे में उपस्थित किसानों, मजदुरों, बुजुर्गो एवं युवा साथियों को संबोधित करते हुए कहा.

उन्होंने आगे कहा कि आज हमारा किसान भाई अत्यंत दयनीय अवस्था से गुजर रहा है. सरकार चाहे महाराष्ट्र की हो या फिर अच्छे दिन लाने का दिखावा करने वाली केन्द्र सरकार. सभी ने किसानों को बरगला कर उनका मजाक उड़ाया है. हमारा अन्नदाता,किसानभाई अनाज पैदा कर सारे देश का पेट भर रहा है और वह खुद ही सबका पेट भर कर भूखे मर रहा है. श्री गुप्ता ने कहा कि किसानों पर चैतरफा संकट टुट पड़ा है पर उसकी सुध लेने वाला कोई नहीं है. कोई अच्छे दिन का वादा कर खुशी मना रहा है तो कोई विकस पुरूष बनकर ढोंग रचा रहा है.

Ashok Gupta  (1)
अशोक गप्पु गुप्ता ने मंच से तीखे स्वर में प्रहार करते हुए कहा कि नौकरशाही करने वाले अधिकारी-कर्मचारी हजारों की तनख्वाह पाकर भी कई प्रकार की सहुलितें पाने के लिए मोर्चाबंदी और आंदोलन करते है जिसे सरकार तत्काल सुनकर पूरी कर देती है. परंतु ये किसान जो अपनी मांगों के लिए हाथ फैलाये सरकार और उसके प्रशासन से फरयाद कर रहे, उसे सुनने वाला कोई नही है. आखिर किसानों के साथ ऐसा भेदभाव और दुव्र्यवहार क्यों?

गुप्ता ने बेबाक स्वर में कहा कि गोंदिया जिला सूखे की चपेट में है और इसे सूखाग्रस्त घोषित करना सरकार का काम है. अगर अधिकारीयों द्वारा आगामी कुछ दिनों में इसका जवाब नहीं दिया जाता है तो हम फिर से उग्ररूप धारन कर सरकार को घेरने का कार्य करेंगे. गुप्ता ने कहा कि सरकारी यंत्रणा के एक सिस्टम को यहां के विकास पुरूष उसे विकास बता रहें है जबकि वह कार्य तो सरकार के सरकारी विभाग के बंटे हुए कार्य है. जिन विकास कार्यो को करना इनका जनप्रतिनिधित्व कहलाता है वे कार्य इनके विकास के पहाड़े से कोसो दूर है. मतलब साफ है कि इनकी करनी कुछ और, कथनी कुछ और है. ये अगर विकास पुरूष होते तो हमारे किसानों की ज्वलंत मांगों को सरकार के समक्ष उठाकर उसे पूरा करने का साहस दिखाते. अतिवृष्टि, ओलावृष्टि, धान का भाव, कर्ज और ऐसी तमाम समस्या है जो मुंह फाड़े खड़ी है और जनप्रतिनिधि तमाशबीन बनकर ताली बजा रहे है. विशाल मोर्चे को सनम कोल्हटकर, धांडे गुरूजी, रंजीत गणवीर एवं अन्य मान्यवरों ने संबोधित कर विविध समस्याओं से सरकार को ध्यानाकर्षित करने का कार्य किया. मोर्चे में लगभग 140 गांवों से किसान भाई, युवा बुजुर्ग हजारों की संख्या में उपस्थित थे, जिन्होंने आज अशोक गप्पु गुप्ता के नेतृत्व में कंधे से कंधा मिलाकर सहयोग प्रदान किया. संबंधित मांगों का ज्ञापन उपविभागीय अधिकारी ने स्वंय मोर्चास्थल पर आकर स्वीकार किया तथा इस मांग पत्र के ज्ञापन को तत्काल उपर भेजने का आश्वासन देकर उसके समाधान को पूरी करने का विश्वास जताया.

Ashok Gupta  (3)
इस मोर्चे को सफल बनानें में सनम कोल्हटकर, नाजुक शेंडे, धांडे गुरूजी, विनायक खैरे, पप्पु पटले, मदनभाउ बनकर, आनंद तुरकर, चुनेश पटले, आनंद जतपेले, गोपाल अजनीकर, राजेश कनोजिया, विजय उके, विनोद पटले, बाल्या कोसरकर, सुरपत खैरवार, राजेश मानकर, गंगाराम मानकर, केवल रहांगडाले, टि.पी. शिवणकर, सचिन मेश्राम, प्रकाश देवाधारी, संजय खैरे,अंकेश हरीणखेडे, विनोद पंधरे, राकेश टेंभरे, राजकुमार जमरे, शेखर सोनी, चिराग फुन्डे, ओम राणे, ऐजाज भाई, अनीस खान, रणजीत गणवीर, चंदन परतेती, पंकज तिडके, राजा गौतम, राजु बागडे, बबलु पटले, बिट्टु गुप्ता, गज्जु मेश्राम, कुणाल शेंडे, करण टेकाम, दिलीप येरणे, प्रितम मेश्राम, दुर्योधन मेश्राम, नितीन बरईकर, सुरेन्द्र गेडाम, दिनु मेश्राम, भाउलाल परतेती, योगेन्द्र नागपुरे, आनंद नागपुरे, अनिल सहारे, मनोज कटकवार, सचिन मेश्राम, राकेश रामटेके, ललित तवाडे, हनस जतपेले, अमरसिंह खोहरे, संतोष लिल्हारे, उमाशंकर पटले, केवल रहांगडाले, श्रीराम नाइक, पुनाप्रसाद लिल्हारे, जितेन्द्र ढेकवार, विष्णु मरकाम, राजेन्द्र कापसे, देवा कापसे, महेन्द्र मेश्राम, महेश मेश्राम, अशोक गौतम, सेवक बंसोड, उमेश पंजारे, महेश हरीणखेडे,शिव नागपुरे, राजेश चैड़े, राजु कापसे, सुखदेव हत्तीमारे एवं मुकेश शेंडे सहित आदि समर्थकों ने सहयोग प्रदान कर किया.