Published On : Thu, Mar 20th, 2014

ओलावृष्टि पीड़ितों को नाममात्र सरकारी मदत- विधायक देवेन्द्र फड़नवीस

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भाजपा  प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी वाराणसी और बड़ोदरा इन दो लोकसभा सीटों से चुनाव लड़ने वाले हैंलेकिन वो विजयी होगे ऐसा उन्हें विश्वास नहीं है या कुछ जड़ा ही विश्वास है ऐसा पत्रकारो कि और से पूछे जाने पर आमदार देवेन्द्र फड़नवीस ने कहा कि मोदी को उनकी जीत का पूरा विश्वास है। उन्होंने ये भी कहा कि मोदी दोनों सीटो से जीतेंगे और एक जगह कि सीट को जीत के बाद छोड़ देंगे। 

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यवतमाल – ओलावृष्टि की वजह से विदर्भ, मराठवाड़ा, उत्तर महाराष्ट्र और पश्चिम महाराष्ट्र के किसानो का भारी नुकसान हुआ है। लेकिन सरकार की ओर से घोषित सहायता राशी इन किसानो तक कब तक पहुचेगी और पहुचेगी भी या नहीं ये सवाल फड़नवीस ने यवतमाल में आयोजित पत्रकार परिषद् में उठाया। आगे बोलते हुए फड़नवीस ने कहा की इस बार खरीफ की फसल बाढ़ के कारण बर्बाद हो गई और अतिवृष्टि ने किसानो का भारी नुकसान किया। बिचारे किसानों की उम्मीदें रबी की फसल पर टिकी थी लेकिन ओलावृष्टि ने रबी की फसल को बकी पूरी तरह बर्बाद कर दिया जिससे किसानो की कमर टूट गयी। जिस तरह के ओले इस बार गिरे है ऐसे ओले पहले कभी भी नहीं गिरे थे। फड़नवीस ने कहा की इस आसमानी विपत्ति को राष्ट्रीय विपत्ति घोषित करके पीड़ित किसानो को तत्काल मदत देना सरकार का काम था लेकिन सरकार ने आचार सहित की दुहाई देते हुए जानबूझकर किसानो को मदत देने में देरी की है। ऐसा कटाक्ष फड़नवीस ने अपने भाषण के दौरान किया। सरकार को तुरंत मदत देकर किसानो को दिलासा देने की ज़रूरत थी लेकिन ऐसा कुछ नहीं किया गया।
गौरतलब है की भाजपा ने हेक्टरी ५० हज़ार रूपए की मदत के साथ ही क़र्ज़ और बिजली बिल माफ़ी की मांग की थी लेकिन सरकार ने महज़ १० और २५ हज़ार प्रति हेक्टेयर मुआवज़ा दिया जो  ऊठ के मुह में जीरे जैसी स्थिति है। फड़नवीस ने ये भी कहा की सरकार ने जो नाममात्र मुआवज़े की राशी तय की है वो भी किसानो तक कब पहुचेगी इसकी भी चिंता उन्हें है। क्युकी अबतक पीड़ित किसान मुआवज़े की महज़ राह देख रहे है। विधायक देवेन्द्र फड़नवीस ने ये भी आरोप लगाया की पंचनामा की प्रक्रिया में भी घोटाला हो रहा है और जितना नुकसान हुआ है उतना रिकार्ड्स में नहीं दर्ज़ हो रहा जिससे किसानो को न्याय नहीं मिल रहा। फड़नवीस के मुताबिक क़र्ज़ की पुनर्रचना की जानी चाहिए। ५५ प्रतिशत किसानो को विविध कार्यकारी सहकारी संस्था के माध्यम से क़र्ज़ दिया जाता है जब की ४५ प्रतिशत क़र्ज़ प्राइवेट स्वरुप में मिलता है। विदर्भ के बुलढाणा और वर्धा के बैंको ने किसानो को क़र्ज़ ही नहीं दिया ऐसा फड़नवीस ने कहा।
फड़नवीस ने अपने भाषण में कहा की भाजपा ने ओलावृष्टि को राष्ट्रीय आपत्ती घोषित कर किसानो के दर्द को समज़ने की मांग की थी। लेकिन देश के कृषि मंत्री शरदचंद्र पवार ने इस मांग को नाजायज़ बताते हुए इस मुद्दे पर उदासीनता दिखाई। फड़नवीस ने कहा की अगर सरकार इस विपत्ती को राष्ट्रीय आपत्ती घोषित करती है तो केंद्र सरकार की ओर से अनुदान स्वरुप मदत मिल पाती और किसानो को इस विकत समस्या से मुक्ती मिल पाती। देश के इतिहास में इस बार जैसी भयानक ओलावृष्टी हुई लेकिन फिर भी पवार इसे राष्ट्रीय विपत्ती घोषित करने का विरोध कर रहे हैं। फड़नवीस ने कहा की सरकार का ये उदासीन रवैया किसानो के ज़ख्मो पर नमक है।  फड़नवीस ने कहा की इस मुद्दे को लेकर वो राज्यपाल को मिलने वाले है और इस ओर ध्यान आकर्षित करने की कोशिश करेगे। आगे बोलते हुए फड़नवीस ने कहा की अतिवृष्टि के कारन २ हज़ार करोड़ का नुकसान हुआ लेकिन मुआवज़ा सिर्फ ८०० करोड़ ही मिला। कल घोषित की गयी मुआवज़े की रकम भले ही सरकार को सर्वाधिक लग रही होगी लेकिन नुकसान की तुलना में कुछ भी नहीं है ऐसा विधायक देवेन्द्र फड़नवीस ने कहा। किसानो की मदत करने की इच्छाशक्ती अगर केंद्र सरकार में हो तो आचारसहिता इसमें रोड़ा नहीं बन सकती। राज्य का खजान पहले ही ५ हज़ार करोड़ घाटे में चल रहा है और राज्य सरकार किसानो की मदत करने में असमर्थ है इसलिए मुख्यमंत्री को हर बार केंद्र सरकार का मुह देखना पड़ता है। फड़नवीस ने कहा की राज्य सरकार की मदत करने की इच्छा केंद्र सरकार के मंत्रियो में होना ज़रूरी है।