डेढ महीने में दो चीतों की मौत से वनविभाग में मची खलबली
तत्कालीन नेर वनपरिक्षेत्र के अंतर्गत लासिना टेकड़ी खेत में करीब ७ वर्षीय चीता मृत अवस्था में मिलने की घटना सव्वा महीने पहले १९ फ़रवरी को हुई थी। इस घटना के बाद २७ मार्च को आज से पहले नेर वनपरिक्षेत्र अंतर्गत तथा अब यवतमाल वनपरिक्षेत्र अंतर्गत वाघपुर सर्कल के बिट में कक्ष क्र. ५६९ के परिसर में करीब ८ से १० वर्ष का चीता मृत अवस्था में मिला। इस वजह से वन सर्कल में खलबली मची हुई है।
लगातार दो चीताओं का मृतदेह मिलने से कोअर फोरेस्ट के वन्यजीव के जीवन के विषय पर प्रश्न निर्माण हुआ है। वाघापुर वन सर्कल के असोला बीट के ५६९ में नर जाती का चीता मृत अवस्था में गिरा पड़ा है ऐसी जानकारी वनचौकीदार शेंडे ने यवतमाल के वनपरिक्षेत्र अधिकारी नंदकिशोर जगताप को दी। उन्होंने तुरंत यह जानकारी वरिष्ठों को देके अपने टीम के साथ घटनास्थल के लिए रवाना हुए। असोला से मालखेड खुर्द के मार्ग पर ३ किमी के दुरी पर मानक्या बैल का सगर परिसर के जंगल में यह चिता मृता अवस्था में मिला।
तकरीबन ४ से ५ दिन पहले चीते की मौत हो गयी ऐसा प्राथमिक अंदाजा वनविभाग से बताया जा रहा है। चीते के शरीर के सभी अवयव कायम है। घटनास्थल का उपवनसंरक्षक प्रमोद लाकरा, एसीएफ लक्ष्मणराव गाड़े साथ ही दक्षता टीम के एसीएफ ने निरिक्षण किया। घटनास्थल पंचनामा करके मृत चीते की उत्तरीय जांच करने की प्रक्रिया पूर्ण की गई। नेर वनक्षेत्र अंतर्गत सोनखान उपवनक्षेत्र के लासिना टेकड़ी के किसान विजय नितनवरे के गांव के खेत में सव्वा महीने पहले चीते का मृतदेह मिला था। इस प्रकार में चीते का मौत कैसे हुई? विष का प्रयोग हुआ था क्या ? इस प्रकार के विविध प्रश्न निर्माण हुए है।