आमगांव में कृषि विभाग की भूमि दी गई थी वन विकास के लिए
आमगांव
आमगांव तालुका में वन विकास के लिए कृषि विभाग द्वारा हस्तांतरित की गई जमीन वन विकास महामंडल की लापरवाही और उदासीनता के चलते उजाड़ हो रही है. सरकार ने राज्य में वन विकास के लिए अनेक योजनाएं क्रियान्वित की हैं. लेकिन महामंडल ने जमीन होने के बाद भी उसे वीरान होने के लिए ऐसे ही छोड़ दिया है.
करोड़ों की वनसंपदा
आमगांव तालुका के स्तर पर कृषि विभाग की अधिगृहित जमीन है. इस जमीन पर कृषि विभाग पहले वृक्षारोपण के साथ ही शोध कृषि कार्य सफलतापूर्वक करता था. इसी में राज्य सरकार ने कृषि विभाग की 26.32 हेक्टेयर जमीन 1976 में वन विकास महामंडल को दे दी थी. बाद में इसी जमीन में से सरकार ने राजस्व और सिंचाई विभाग को कुछ जमीन दी. बाकी बची जमीन महामंडल को वृक्षारोपण और बीज-रोपण के लिए दे दी गई. प्रारंभ में तो विभाग ने सरकार की अनेक योजनाएं क्रियान्वित की, मगर बाद में महामंडल ने इस तरफ़ से मुंह ही फेर लिया. परिणाम यह हुआ कि करोड़ों की वनसंपदा वाली यह जमीन वन विकास महामंडल की लापरवाही के कारण वीरान हो गई है.
ऐसे तो न बनेगी रोपवाटिका
आमगांव तालुका के स्तर पर वन विकास महामंडल ने गोंदिया वन प्रकल्प विभाग के अंतर्गत वन रोपवाटिका का काम शुरू किया है. मजे की बात यह कि काम केवल विभाग के बोर्ड पर ही नजर आता है. वस्तुस्थिति यह है कि इस विभाग के कार्यालय पर तो ताला जड़ दिया गया है. चलता-फिरता दल भी निष्क्रिय है. इस दल पर अवैध जंगल कटाई और चोरी पर रोक लगाने की महती जिम्मेदारी है. ऐसे में कैसे चोरी रुकेगी और कैसे जंगल बचेंगे.