आरोपियों में मंडल अधिकारी एवं पटवारी भी शामिल
अकोला
भूमि के सात बारह पर पत्नी का नाम नहीं डालने के लिए पैसों की मांग करने वाले कोतवाल एवं उसके सहयोगी को भ्रष्टाचार निरोधक विभाग (एसीबी) के अधिकारियों ने रिश्वत लेते गिरफ्तार किया. आरोपियों में वाड़ेगांव के मंडल अधिकारी समेत नकाशी के पटवारी का नाम भी शामिल है. मंडल अधिकारी एवं पटवारी को इसकी जानकारी मिलते ही वे फरार हो गए.
प्राप्त जानकारी के अनुसार माझोड़ निवासी गजानन सुखदेव हागे और उसकी पत्नी प्रमिला भगवान हागे के बीच अनबन है. गजानन हागे के नाम पर माझोड़ गांव में सात एकड़ भूमि है. उक्त भूमि के सात बारह पर नाम दर्ज करने के लिए विवाहिता ने बालापुर तहसील के तहसीलदार के पास आवेदन किया था. आवेदन पर उचित कार्रवाई करने के लिए तहसीलदार ने उक्त आवेदन वाड़ेगांव के मंडल अधिकारी संतोष कर्णेवार (सहकार नगर, अकोला) एवं नकाशी के पटवारी अमित सबनिस (परिवार कालोनी अकोला) के पास भेजा था. आवेदन दोनों को प्राप्त होने के बाद उन्होंने इस संबंध में गजानन सुखदेव हागे को सूचना दी एवं उसके साथ मुलाकात की. जिसके बाद गजानन हागे ने उन दोनों के सम्मुख आपत्ति दर्ज कराते हुए उसकी पत्नी का नाम सात बारह में दर्ज करने से उन्हें मना किया.
पति तथा पत्नी के बीच झगड़े का लाभ उठाते हुए मंडल अधिकारी एवं पटवारी ने फरियादी गजानन हागे से 70 हजार रुपए की रिश्वत मांगी. लेकिन इतनी बड़ी रकम देने में असर्मथ होने के कारण हागे ने 35 हजार रुपए देने की तैयारी दर्शाई. जिस पर सहमत होने के बाद उक्त रकम नकाशी के कोतवाल गिरिधर श्रीधर घोगरे (भरतपुर) को देना तय हुआ. लेकिन गजानन हागे ने 23 मई को भ्रष्टाचार निरोधक विभाग का दरवाजा खटखटाते हुए संबंधितों के खिलाफ कार्रवाई करने की गुहार लगाई.
इस बात से अनजान कोतवाल गिरीधर श्रीधर घोगरे एवं उसका साथी विजय गजानन काले (22) दोनों 28 मई की शाम लगभग 6 बजे गजानन हागे के माझोड़ स्थित घर पर गए एवं रिश्वत ली. इधर घात लगाए बैठे एसीबी के अधिकारियों ने कोतवाल एवं उसके साथी को गिरफ्तार किया. सभी आरोपियों के खिलाफ पातुर पुलिस थाने में अपराध दर्ज किया गया. अधिकारी के अनुसार घर के अंदर कोतवाल का सहायक विजय काले रिश्वत के रूप में दिए गए रुपए गिन रहा था.