धड़ल्ले से जारी है रेत की अवैध चोरी, रोक लगाने की मांग
सारखणी
माहुर और किनवट के बीच से बहनेवाली पैनगंगा नदी के तट से रेत की चोरी काफी बढ़ गई है. नदी तट पर स्थित रेत घाटों की नीलामी नहीं किए जाने के कारण वरुड के रास्ते सिंदखेड (तांडा) और किनवट तालुका के सिख धानोरा, खंबाला, रामपुर के नदी घाटों से धड़ल्ले से रेत की अवैध तस्करी हो रही है. इससे सरकार को करोड़ों रुपयों के राजस्व का नुकसान हो रहा है. यही रेत बाद में ग्राहकों को भारी कीमत पर बेची जा रही है. पर्यावरण बचाव समिति ने इस अवैध चोरी पर तत्काल रोक लगाने की मांग की है.
बताया जाता है कि इन नदी तटों से प्रतिदिन 20 से 25 ट्रैक्टरों द्वारा खुलेआम रेत की चोरी की जा रही है. जाहिर है कि यहां सक्रिय रेत माफिया का अवैध धंधा प्रशासन की सहायता से ही चल रहा है. दरअसल रेत तस्करों के खिलाफ प्रशासन कार्यवाही करता है, उन पर जुर्माना भी ठोंका जाता है, मगर रेत चोरी में कोई कमी दिखाई नहीं देती. रेत तस्करों की संख्या बढ़ रही है, उनका मनोबल बढ़ रहा है.
अनुमति दो ब्रास की, निकालते हजारों ट्रैक्टर
रेत तस्कर रात में ट्रैक्टर भरकर तड़के गांव में दिखाई देते हैं. सिंदखेड (तांडा) से वरुड के रास्ते रेत भरे ट्रैक्टर ले जाए जाते हैं. किनवट तालुका के खंबाला से तो कोरी रसीद की जेरॉक्स निकालकर एक – दो ब्रास रेत की अनुमति लेते हैं और हजारों ट्रैक्टर रेत निकालकर खुले बाजार में बेच देते हैं. कुछ ट्रैक्टर वाले यह दिखाकर रेत चोरी करते हैं कि उनके पास विदर्भ, खडका, चिमटा, वरुड (तालुका आर्णी) की पास और अनुमति है.
किनवट प्रशासन ध्यान दे
किनवट प्रशासन को इस तरफ ध्यान देकर रेत चोरी पर रोक लगानी चाहिए, ताकि गर्मी के इन दिनों में कम से कम मवेशियों को तो पीने का पानी मिल सके.