बिजली दर में वृद्घि से उद्योगों की स्थिति चरमरा गई है। उत्पादन रोकने और बिजली बिल का भुगतान न करने के शिवाय कोई चारा नहीं बचा है। गुरुवार को वीआईए के कार्यालय में हुई बैठक में विदर्भ तथा मराठवाड़ा के ग्राहक संगठनों ने 25 अक्टूबर को तहड़ल करने और अगले महीने से बिल का भुगतान नहीं करने का एकमत से निर्णय लिया है।
हड़ताल दौरान एमईआरसी, महावितरण के प्रबंध निदेशक, सभी जिलों के जिलाधीश तथा महावितरण के कार्यकारी निदेशकों व मुख्य अभियंताओं को एक ज्ञापन सौंपा जाएगा। ज्ञापन में विद्युत दरों को पुनर्निर्धारित करने, व्यस्ततम घंटों के अलावा शेष समय में 2.50 रुपए की छूट देने, क्रास सब्सिडी की प्रगति बनाने, बीपीएल श्रेणी को अलग श्रेणी करने, ग्राहक श्रेणी में एफएसी शुल्क की भिन्नता का प्रावधान खत्म करने, एक्सप्रेस व नान एक्सप्रेस फीडर विद्युत दर को एक करने आदि की मांग की जाएगी। इस बैठक में विदर्भ इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के अध्यक्ष प्रफुल्ल जोशी, नागपुर किराना एसोसिएशन के अध्यक्ष श्री पातूरकर, फेडरेशन ऑफ एसोसिएशन ऑफ इंडस्ट्रीज विदर्भ, अमरावती, महाराष्टï्र वीज ग्राहक संगठन मुंबई के अध्यक्ष प्रताप होगड़े, विदर्भ इंडस्ट्रीज एसोसिएशन की ऊर्जा सेल के अध्यक्ष आर.बी. गोयनका, बूटीबोरी मेन्यूफेक्चर एसोसिएशन के अध्यक्ष हेमंत अंबासेलकर, एमआईडीसी इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के अध्यक्ष मयंक शुक्ला, कलमेश्वर, एमआईडीसी इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के अध्यक्ष वी.बी. भातघरे, अकोट इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के आशीष चंद्रराणा, अकोला, चेंबर ऑफ कामर्स एंड इंडस्ट्रीज के अध्यक्ष कमलेश वोरा, राईस मिल एसोसिएशन मूल के अनिल मगरे, राईस मिल एसोसिएशन गोंदिया के अध्यक्ष गजानन अग्रवाल, जलगांव इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के अध्यक्ष भुवनेश्वर सिंह उपस्थित थे।
ऊर्जामंत्री से भी निवेदन : संगठनों ने ऊर्जामंत्री से भी निवेदन किया है कि एक नीतिगत निर्णय लेकर आयोग को सलाह दें । विद्युत दरों खासकर उद्योगों की विद्युत दरों को पुर्ननिर्धारित करें और इसे पड़ोसी राज्यों में लागू दरों के बराबर करें, साथ ही आयोग को निर्देश दें कि वह पावर एक्सचेंज सहित ओपन एसेस की नीति तुरंत बनाएं। कमिशन को निर्देश दें कि वह राज्य में समानांतर लाइसेंस के नियम बनाएं। साथ ही प्रदेश में होती उद्योगों की की बदतर स्थिति को देखते हुए तथा उन्हें बचाने के लिए औद्योगिक ग्राहकों के लिए सब्सिडी की व्यवस्था करें।
अन्य राज्यों में सस्ती बिजली : बैठक में आरोप लगाया गया कि महाराष्टï्र की औïद्योगिक विद्युत दरें देश में सबसे अधिक है। पड़ोसी राज्यों में 4.50 रुपए से लेकर 6 रुपए के बीच उïद्योगों को बिजली उपलब्ध है। जबकि महाराष्टï्र में कर सहित 8.50 रुपए प्रति यूनिट चुकाने पड़ते हैं। छोटे स्टील प्लांटों को एक टन माल उत्पादन के लिए छत्तीसगढ़ की अपेक्षा 2500 रुपए अधिक चुकाने पड़ते हैं, जबकि फैरो एलाय में यह अंतर 14 हजार रुपए प्रति टन का है।