मोहपा वासियों का नगर परिषद से सवाल
मोहपा
मोहपा के नागरिकों का पीने के शुद्ध पानी के लिए बरसों से इंतजार जारी है, मगर ये इंतजार कभी खत्म होने का नाम ही नहीं लेता. अनेक शिकायतों के बावजूद पीने के लिए वही गंदा और दूषित जल ही दिया जाता है. नई जलशुद्धीकरण प्रक्रिया के हाल ये हैं कि वह शुरू होने से पहले ही खराब हो गई. नागरिकों ने एक बार फिर जनप्रतिनिधियों से इस तरफ ध्यान देने की मांग की है.
रोज भी नहीं मिल पाता पानी
मोहपा के नागरिकों को खुमारी जलाशय और मुधुगंगा जलाशय से पानी की आपूर्ति की जाती है. दोनों ही जलाशयों पर बड़े-बड़े कुएं बनाए गए हैं. इन कुओं में पानी का संग्रह कर उसे गांव की पानी की टंकियों में लाया जाता है. वहीं से पानीं की आपूर्ति की जाती है. नागरिकों का मानना है कि ये पानी पीने के लायक नहीं है. इतना ही नहीं, टंकियां भी इतनी छोटी हैं कि रोज-रोज पानी की आपूर्ति नहीं हो पाती. गांव के गलबर्डी इलाके में तो रोज पानी पहुंच ही नहीं पाता.
दो साल से पूरा ही नहीं हो रहा काम
खुमारी जलाशय पर पिछले दो सालों से नगर परिषद प्रशासन जलापूर्ति परियोजना पर काम कर रहा है. मगर साढ़े चार करोड़ की लागत वाली यह परियोजना भी किसी काम की साबित नहीं हो रही है. इस परियोजना के तहत जलाशय में कुआं, पाइपलाइन, बड़ी पानी की टंकी के साथ ही जलशुद्धीकरण योजना का भी समावेश है. परियोजना के पूरा होने के बाद नगर में जलापूर्ति शुुरू की गई, मगर जलशुद्धीकरण योजना शुरू होने के पहले ही खराब हो गई.
गांव का स्वास्थ्य बिगड़ रहा
इसके चलते मोहपा के नागरिकों को पिछले कुछ दिनों से पहले की अपेक्षा और गंदे तथा दूषित पानी से गुजारा करना पड़ रहा है. ये पानी पीने लायक तो है ही नहीं, बाहरी काम के लिए इस्तेमाल करने लायक भी नहीं है. इससे गांव के लोगों का स्वास्थ्य बिगड़ रहा है. जनप्रतिनिधियों से पूछने पर जवाब मिलता है कि ठेकेदार काम के प्रति लापरवाही बरत रहा है.
पुरानी जलशुद्धीकरण योजना बरसों से बेकार पड़ी
गांव की पुरानी जलशुद्धीकरण योजना बरसों से बेकार पड़ी हुई है, मगर उसकी मरम्मत की सुध कभी नगर परिषद ने नहीं ली. पूछो तो जवाब मिलता है कि महाराष्ट्र जीवन प्राधिकरण के अभियंता बस एक-दो दिन में आने वाले हैं. वे आएंगे और सब-कुछ ठीक हो जाएगा. मगर वह दिन कभी नहीं आया. अब तो नई योजना भी खराब हो गई है. पता नहीं, शुद्ध पानी के लिए मोहपावासियों को और कितना इंतजार करना होगा?