15 दिनों से ठप पड़े हैं गांवों में सरकारी कामकाज
उमरखेड़
पिछले 15 दिनों से ग्रामसेवक हड़ताल पर हैं. इससे ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों का जीवन अस्त-व्यस्त हो गया है. महाराष्ट्र राज्य ग्रामसेवक यूनियन के बैनर तले जारी इस बेमुद्दत आंदोलन की तरफ सरकार का कोई ध्यान नहीं है, जिससे आम नागरिकों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. इस आंदोलन के चलते नागरिक सभी सरकारी कामों से वंचित हो गए हैं.
30 जून को अपनी न्यायोचित मांगों के लिए जिलाधीश कार्यालय पर मोर्चा के साथ इन ग्रामसेवकों ने अपने आंदोलन की शुरूआत की थी. उसके बाद 2 जुलाई से म. रा. ग्रामसेवक संगठन की ओर से बेमुद्दत काम बंद आंदोलन प्रारंभ किया गया. सभी ग्रामसेवकों और ग्राम विकास अधिकारियों ने ग्राम पंचायतों की चाबियां खंड विकास अधिकारियों के सुपुर्द कर दी थी. उसके बाद मुंबई के आजाद मैदान में अमरावती संभाग के ग्रामसेवकों ने धरना दिया था.
जिन मांगों के लिए ग्रामसेवक आंदोलन पर हैं उनमें ग्रामसेवक और ग्राम विकास अधिकारियों की वेतन-त्रुटि दूर की जाए, नरेगा के लिए ग्राम पंचायत के स्तर पर स्वतंत्र विभागों का गठन किया जाए, ठेका शिक्षकों की तरह ही ठेके पर लगने वाले ग्रामसेवकों का सेवाकाल भी नियुक्ति के दिन से ही माना जाए, 20 ग्राम पंचायतों के पीछे एक विस्तार अधिकारी का पद सृजित किया जाए, यात्रा भत्ता 3 हजार रुपए किया जाए और सरकार की गलती के कारण पेंशन योजना से वंचित ग्रामसेवकों पर सहानुभूतिपूर्वक विचार किया जाए, जैसी मांगें शामिल हैं.