देवेन्द्र फडणवीस महाराष्ट्र की राजनीति का एक ऐसा वट वृक्ष है , जो अपने राजनीतिक जन्म से लेकर युवा होने तक कभी मुरझाया और टुटा नहीं , बल्कि हर चुनावी बसंत में बिना पतझड़ के नए-नए पत्तों और डालियों से अपने को मजबूत करता गया। २२ जुलाई १९७० को नागपुर के ब्राह्मण परिवार में जन्मे देवेन्द्र अपने बाल काल से ही चतुर और निडर थे। राजनीति की दीक्षा इन्होने अपने पिता गंगाधर राव से ली। गंगाधर राव राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सदस्य होने साथ-साथ भाजपा से भी जुड़े थे। गंगाधर राव महाराष्ट्र विधान परिषद के सदस्य रह चुके है।
देवेन्द्र नागपुर विद्यापीठ से कानून की शिक्षा लेने बाद वकालत के क्षेत्र से जुड़ सकते थे , लेकिन ऐसा नहीं हुआ। समाज सेवा और राजनीति के प्रति इनके लगाव ने भाजपा की वार्ड इकाई से जोड़ दिया। १९८९ में देवेन्द्र सबसे पहले नागपुर में भाजपा के वार्ड अध्यक्ष बने। यहीं से इनकी राजनितिक सफर की शुरुआत हो गई। १९९० में नागपुर शहर के पदाधिकारी बने ,१९९२ में भाजपा युवामोर्चा के नागपुर शहर अध्यक्ष बनाये गए। इनके राजनीतिक जीवन का यही सबसे बड़ा मोड़ था, फिर क्या था दनादन सफलता की सीढ़िया चढ़ाते गये। १९९४ भाजपायुवामोर्चा का प्रदेश उपाध्यक्ष ,२००१ में राष्ट्रीय उपाध्यक्ष युवामोर्चा ,२०१० में महाराष्ट्र महामंत्री और २०१३ में महाराष्ट्र भाजपा के अध्यक्ष नियुक्त किये गए। आज मुख्यमंत्री की कुर्सी पर सुशोभित होने जा रहे है।
देवेन्द्र को शांत और मृदु भाषी स्वभजव का माना जाता है।
१९९२ और १९९७ में नागपुर महानगर पालिका के सदस्य चुने गए। १९९७ में सिर्फ २७ साल की उम्र में नागपुर का मेयर बनने का सौभाग्य देवेन्द्र को मिला। १९९९ में पहली बार विधानसभा चुनाव लड़े और इसके बाद कभी हार का मुंह नहीं देखा। दृढ संकल्प और मजबूत इरादे के धनी देवेन्द्र फडणवीस के बारे में शायद कम ही लोगों को यह पता होगा कि, यह सफल राजनीतिक होने साथ -साथ अच्छे कवि और लेखक भी है। इनका यही लेखन मन इन्हे पत्रकारों ज्यादा करीब लेकर खड़ा कर देता है। इनकी लेखनी में हमेशा इनके कोमल और भावनात्मक विचारों को देखा जाता रहा। इन्होने अर्थ संकल्प पर ” हाउ टू अंडरस्टैंड एंड रीड द स्टेट बजट ” नाम से पुस्तक भी लिखी है।
अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी वे विभिन्न राजनीतिक और सामाजिक मंचों पर अपनी उपस्थिति दर्ज करा चुके है। इस दिशा में होनो लूलू अमेरिका , स्विजरलैंड , बीजिंग , डेनमार्क ,आस्ट्रेलिया ,रूस ,मलेशिया , केन्या आदि देशों की यात्रा कर चुके है। कामनवेल्थ पार्लियामेंटरी एसोसिएशन की ओर से २००२-२००३ के लिए सर्वोत्कृष्ट पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
देवेन्द्र ने महाराष्ट्र के बीते विधानसभा चुनाव में ऐसे समय पर पार्टी के भीतर हताशा और निराशा नहीं आने दी , जब एक झटके में शिवसेना से २५ साल पुरानी दोस्ती टूट गई। उस वक्त पार्टी के सामने एक साथ दो -दो मुश्किलें थी। पहला उन सीटों पर संघठन खड़ा करना , जहाँ से हमेशा शिवसेना चुनाव लड़ती रही दूसरा ज्यादा से ज्यादा सीटें जितनी की रणनीति तैयार करना। देवेन्द्र ने दोनों ही मोर्चों पर अपने को एक मजबूत फौलाद के रूप में प्रदर्शित किया। १२३ सीटों का नतीजा सामने है। देवेन्द्र के नेतृत्व से आनेवाले दिनों में भाजपा महाराष्ट्र में एक मजबूत युवा संघठन खड़ा करने की उम्मीद में है।