इच्छा-मृत्यु की इच्छा भी जताई, 20 साल से नहीं मिला अनुदान
काटोल
काटोल का राजीव गांधी अपंग-अंध विद्यालय पिछले 20 सालों से सरकारी अनुदान से वंचित है. विद्यालय का कई बार निरीक्षण हो चुका है. विधानसभा तक में मामला उठ चुका है. विधायक चंद्रशेखर बावनकुले और विधायक विजय घोड़मारे लगातार मामले का पीछा भी करते रहे हैं. मगर अनुदान की गाड़ी एक़ कदम भी आगे नहीं बढ़ी है. इन सबसे हैरान-परेशान इस शाला के कर्मचारियों ने अपने परिजनों के साथ विधानभवन के सामने आत्मदहन करने और इच्छा-मृत्यु की इच्छा जताई है.
नहीं मिल पाई मान्यता
महाराष्ट्र सरकार के निर्णय के अनुसार अक्तूबर 2002 से पहले प्रारंभ ‘अ’ और ‘ब’ श्रेणी के अपंग, अंध विद्यालयों को त्वरित अनुदान दिया जाता है. स्थानीय राजीव गांधी अपंग-अंध विद्यालय को आश्वासनों की दर्जनों बार मिली खुराक के बाद भी मान्यता नहीं मिल पाई है.
कभी पूरा नहीं हो सका आश्वासन
विद्यालय की स्थापना 1994-95 में हुई थी. कई बार हुए स्कूल के निरीक्षण के बाद उसे ‘अ’ और ‘ब’ श्रेणी मिलती रही है. सारे मापदंड पूर्ण करने के बाद भी अनुदान नहीं दिया जा रहा है. बिना वेतन के काम कर रहे कर्मचारी अब परेशान हो गए हैं. विधानसभा में ध्यानाकर्षण और तारांकित सवालों के जवाब में विगत दिनों समाज कल्याण मंत्री शिवाजीराव मोघे ने लिखित जवाब में अनुदान का आश्वासन दिया था, मगर आश्वासन कभी पूरा नहीं हो सका. अनुदान के बगैर स्कूल का संचालन अब मुश्किल हो गया है. सवाल यह है कि क्या सरकार इस तरफ ध्यान दे पाएगी या किसी अनहोनी का इंतजार करते बैठी रहेगी ?