गोंदिया जिले में मामा तालाबों का अस्तित्व खतरे में
आमगांव
मामा तालाब के लिए पूरे राज्य में पहचाने जाने वाले गोंदिया जिले के इन तालाबों का अस्तित्व सरकारी अफसरों के कारण अब खतरे में पड़ गया है. सिंचाई की दृष्टि से किसानों के लिए बड़े महत्वपूर्ण ये तालाब लोगों की प्यास बुझाने के लिए भी काम आते हैं. लेकिन जिन अधिकारियों पर इन तालाबों को बचाने की जिम्मेदारी है वही इन तालाबों को खत्म करने पर तुले हैं. मामा तालाबों पर अतिक्रमण बढ़ता जा रहा है और लोग अब इन तालाबों पर अनधिकृत निर्माण कार्य भी करने लगे हैं.
मरम्मत के लिए करोड़ों की मदद
सिंचाई के लिए उपयुक्त इन तालाबों की ठीक से देखरेख की दृष्टि से सरकार ने कुछ कदम उठाए हैं. इसके तहत इन तालाबों की मरम्मत तथा इन्हें और गहरा करने के लिए करोड़ों की निधि भी सरकार ने दी है, ताकि खेतों में सिंचाई और लोगों को पीने के पानी की आपूर्ति अबाध रूप से होती रहे.
बढ़ता अतिक्रमण, बचाते नेता
जिले में मनरेगा के तहत मामा तालाबों को गहरा करने का काम किया गया. अनेक स्थानों पर अनधिकृत रूप से कुछ लोगों ने तालाबों पर अतिक्रमण किया हुआ है. इस अतिक्रमण के चलते इन स्थानों पर तालाबों को गहरा नहीं किया जा सका. इसका असर खेतों और नागरिकों दोनों पर पड़ा.
तालाब में हो रहा अनधिकृत निर्माण कार्य
आमगांव तालुका में 126 मामा तालाब हैं. अकेले आमगांव शहर में ही 6 तालाब ैहंै. मगर तालाबों पर अतिक्रमण के चलते सिंचाई सुविधा उपलब्ध नहीं की जा सकी. आमगांव के गट क्रमांक 110.142 के अंतर्गत सरकारी अधिकारियों ने आपस में ही व्यवस्था भी दे दी. परिणामस्वरूप तालाब परिसर में अनधिकृत निर्माण कार्य भी होने लगा है. ग्राम पंचायत ने इसके विरोध में सरकार से शिकायत भी की. मगर राजनीतिक दबाव के चलते अतिक्रमण हटाने की किसी की हिम्मत नहीं हो रही. बल्कि राजनीतिक कारणों से अतिक्रमण बढ़ता ही जा रहा है.
अतिक्रमण में मदद करने वालों पर भी हो कार्रवाई
अब किसानों ने इस अनधिकृत अतिक्रमण को रोकने की मांग की है, ताकि उन्हें खेतों में सिंचाई के लिए पानी मिलता रहे. इस क्षेत्र के किसान मदन बहेकार ने अतिक्रमण करनेवालों के साथ ही इसमें मदद करने वालों के खिलाफ भी मामला दर्ज करने की मांग की है.