Published On : Thu, Nov 24th, 2016

इंसानियत का नमूना: युवाओं ने वस्त्र विहीनों को नि:शुल्क उपलब्ध करवाए पुराने वस्त्र

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नागपुर : समाजकार्य की ललक पूरी करने के लिए उम्र और अवसर की जरुरत नहीं होती है,और न ही इसके लिए कोई विशेष पात्रता की ही जरूरत होती है। बस जरूरत होती है सोच और समय की मांग के मद्देनजर समाज कार्यो को सफल बनाने की मंशा रखने की। ऐसा ही कुछ नागपुर शहर के मातृसेवा संघ समाजकार्य महाविद्यालय के छात्रों के समूह ने बजाज नगर स्थित महाविद्यालय के सामने और सीताबर्डी स्थित “पुश बैक’ पुलिया के नीचे निखिल चौधरी ने यह उपक्रम शुरू किया है। छात्रों के समूह द्वारा चलाए जा रहे इस अभियान में शहर भर के नागरिक किसी भी समय यहां आते हैं और अपने अनुपयोगी और पुराने कपड़े छोड़ जाते हैं। फिर इन वस्त्रों को जरुरतमंद अपनी-अपनी इच्छा और जरुरत के अनुसार पहनने लेते हैं। खास बात यह कि कपड़ा दान होता है जिसे बिना कोई शुल्क दिए जरूरतमंद नि:शुल्क ले पा लेता है।

मातृसेवा संघ समाजकार्य महाविद्यालय के गडचिरोली जिले के अहेरी(महागांव, गु.) निवासी 22 वर्षीय बीएसडब्लू के तृतीय वर्ष के छात्र धम्मशील रामटेके के अनुसार उनके साथ पढ़ने वाले विद्यार्थियों के समूह ने फील्ड वर्क के दौरान यह महसूस किया कि ऐसे अनगिनत नागरिक हैं, जिनके पास पहनने के िलए कपड़े नहीं होते। वे या तो बिना कपड़े या निर्वस्त्र ही जीवन जीने के िलए मजबूर हैं। वहीं दूसरी ओर कई ऐसे सक्षम नागरिक हैं कि उन्हें पता नहीं होता कि उनके पास कितने कपड़े हैं और उन्होंने किस कपड़े कब और कहां पहना था। इसलिए इस समूह ने एक ओर तो सम्पन्न परिवारों के घरों में जनजागृति के लिए पर्चे बांटे और पुराने और गैर जरूरी कपड़ो को दान करने की अपील की। वहीं दूसरी तरफ जरूरतमंदों में पर्चे बांट कर कपडे मुफ्त में लेने की सूचना को भी प्रसारित किया। इसके लिए इस समूह ने पश्चिम नागपुर के घर-घर में जाकर पर्चे बांटे, जिसका नतीजा लोगों ने समूह को बुला बुला कर कपड़े सौंपे। फिर इन्होंने बजाज नगर महाविद्यालय के सामने की दीवार पर कुछ जेब खर्च कर कला महाविद्यालय के छात्र से आवाहन के लिए पेंटिंग करवाकर दानदातों को कपड़े नीचे रखने की अपील की। इस आवाहन को पढ़कर सड़क से गुजरनेवाले अपनी इच्छा और समय के अनुसार कपड़े छोड़ जाते हैं जिसे जरूरतमंद इन जमा कपड़ो में से अपने पसंद के कपड़ों को चुनकर अपनी जरुरत पूरी कर रहे हैं। यहां उपक्रम इस छात्रसमूह द्वारा बीते 3 माह से किया जा रहा है।

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इसी तरह सीताबर्डी स्थित रेलवे पुलिया के नीचे निखिल चौधरी नामक युवक ने 1 नवम्बर से इसी शैली जरूरतमंदों के िलए उपक्रम शुरू किया। इसके सफल संचलन के लिए उसने अपने ही जरूरतमंद मित्र को सुबह 9 से शाम 7 बजे तक तैनात किया। निखिल इस काम के िलए साथियों को 3000 रूपए महीना की दर से वेतन भी देने का आश्वासन दिया है। यह भी उपक्रम 24 घंटे जनहित में शुरू है। उक्त दोनों ही उपक्रम के प्रेरणास्त्रोत धम्मशील रामटेके, संतोष समरीत,उमेश्वर नंदनवार, प्रनोती मेश्राम, गोविन्द देशमुख और निखिल चौधरी के साथ अन्य सहयोगी सदस्यों के सराहनीय जनहितार्थ प्रयास को निरंतर शुरू रखने के लिए मोदी फाउंडेशन के अध्यक्ष महेश दयावान ने शुभकामनाएं देते हुए उनके इस प्रयास का स्वागत किया है।