– उच्च न्यायालय के सख्त निर्देश पर मनपा,नासुप्र/एनएमआरडी,डीपीसी सह सीएसआर निधि आदि को कुल खर्च का 25-25% निधि देना अनिवार्य किया गया।
नागपुर – नागपुर शहर में बढ़ते कोरोना मरीजों की संख्या को ब्रेक करने के लिए राज्य/स्थानीय प्रशासन की असफलता पर न्यायालय ने सख्त रुख अख्तियार करने के लिए जेम्बो अस्पताल जल्द से जल्द निर्माण कर सेवारत करने के निर्देश दिए। इसके लिए कुल खर्च 4 माध्यम से संकलन कर किया जाए।अब सवाल यह हैं कि मनपा उक्त उपाययोजना के लिए अपना शेयर देने हेतु किस मद में कटौती करेंगी।
न्यायालय के निर्देश पर मनपा प्रशासन ने जेम्बो अस्पताल अर्थात सैकड़ों आईसीयू बेड सह ऑक्सीजन से लैस आईसीयू बेड युक्त परिसर तैयार करने पर चिंतित हैं। मनपा प्रशासन एक छत के नीचे उक्त सुविधा युक्त 1000 बेड की व्यवस्था के बजाय आधा दर्जन के आसपास टुकड़ों में शहर के विभिन्न विधानसभा क्षेत्रों में व्यवस्था करने की योजना बना रही।
पुणे में जेम्बो अस्पताल के निर्माण पर 75 करोड़ के आसपास खर्च होने की जानकारी मिली हैं। इस हिसाब से नागपुर में मनपा का शेयर 10 से 15 करोड़ के आसपास आने की संभावना हैं।
पिछले मनपा आयुक्त मुंढे के अनुसार मनपा कड़की में हैं, क्योंकि जीएसटी आधी हो गई,जल व संपत्ति कर उम्मीद के अनुरूप वसूली नहीं हो पा रही। कर्मियों का पीएफ आदि भी कई वर्ष से नहीं भरा गया,मनपा ठेकेदारों का भी सैकड़ों करोड़ बकाया हैं, इसके अलावा केंद्र/राज्य सरकार की परियोजनाओं में मनपा का शेयर भी देना शेष हैं। इस चक्कर में वर्ष 2020-21 का मनपा बजट पेश नहीं हो पाया। ऐसे में मनपा प्रशासन उक्त खर्च का वहन करने के लिए वर्तमान आर्थिक वर्ष के किसी न किसी मद में निश्चित ही कटौती करेंगी। जिसका फिलहाल खुलासा नहीं हो पाया।
याद रहे कि पूर्व मनपायुक्त तुकाराम मुंढे ने कलमेश्वर मार्ग पर स्थित राधास्वामी सत्संग परिसर में 5000 बेड की व्यवस्था के नाम पर लाखों रुपए फुंक दिए लेकिन रत्तीभर सफलता नहीं मिली तो दूसरी ओर पालकमंत्री नितिन राऊत ने एक माह पूर्व मानकापुर स्थित इनडोर स्टेडियम परिसर में जेम्बो अस्पताल शुरू करने की घोषणा की थी,ठीक एक माह बाद वे जेम्बो अस्पताल के नाम से परहेज करते दिखे। अब जब न्यायालय की फटकार लगी तो मनपा प्रशासन पुनः सक्रिय हुई,इनके सामने समस्या बस एक हैं कि मनपा का 25% शेयर का जुगाड़ किस-किस मद में कटौती कर करें ?