नागपुर: वेस्टर्न कोलफील्ड लिमिटेड के चंद्रपुर जिले के माजरी उपक्षेत्र अन्तर्गत २० वर्ष पुरानी तिलवासा खुली खदान है। इस खदान का “हाई वाल” ज्यादा होने के कारण डीजीएमएस ने ५ दिन पूर्व सेक्शन -२२ लगाया। सेक्शन-२२ लगने का मतलब है कि खदान में काम होना या प्रोडक्शन करना खतरे को आमंत्रण देना। इसके बावजूद भी वेकोलि प्रशासन पिछले ३ दिनों से २४ घंटे कोयला उत्पादन करने में मस्त है। इससे डीजीएमएस की विश्वसनीयता कटघरे में खड़ी हो गई है।
पिछले वर्ष दिसंबर के अंतिम सप्ताह में पश्चिम बंगाल स्थित ईसीएल की लालमटिया खदान में “हाई वाल” ज्यादा होने की वजह से बड़ी दुर्घटना घटी, उक्त घटना के वक़्त उस खदान में कोयला निकालने का काम कोई ठेकेदार कंपनी कर रही थी। उक्त घटना में १७ मजदूरों की मृत्यु हो गई थी।
कुछ ऐसा ही हाल तिलवासा खुली खदान की है, इसका “हाई वाल” काफी ज्यादा होने से डीजीएमएस ने ५ दिन पूर्व जाँच के दौरान प्राप्त हक़ीक़त के आधार पर सेक्शन-२२ लगा दिया।यह धारा तभी लगाई जाती है, जब खदानों में कभी भी जानमाल का नुकसान होने की परिस्थिति देखी जाती है।
डीजीएमएस केंद्र सरकार की अधिकृत और प्रभावी समिति है,जो देश के किसी भी खदानों का माइंस एक्ट के निर्देशों का पालन हो रहा है या नहीं जाँच कर सकती है। माइंस एक्ट के तहत वेकोलि की खदानें भी आती हैं। डीजीएमएस खदानों में जाँच के बाद अगर जरुरत पड़े तो एक्ट के अनुसार सुधार या ज्यादा गड़बड़ी दिखी तो खदान का उत्पादन बंद कर, सुधार फिर, उत्पादन का कड़क निर्देश देती है। खदान प्रबंधन जब डीजीएमएस द्वारा दिए गए निर्देशों को पूरी कर डीजीएमएस को अवगत करवाती है, फिर डीजीएमएस की पुनः जाँच होती है, जाँच ने सबकुछ नियमानुसार ठीक पाया गया तो फिर उत्पादन करने का निर्देश देती है।
इसके अलावा खदानों की जर्जर हालात, जानमाल के नुकसान की संभावना पर खदान पर सेक्शन-२२ धारा लगाकर खदान बंद करने के आदेश भी देती रही है। ५ दिन पूर्व डीजीएमएस की टीम ने तिलवासा खुली खदान का मुआयना किया, फिर परिस्थिति गंभीर देख सेक्शन-२२ धारा लगाकर खदान बंद करने का निर्देश दिया।डीजीएमएस की जाँच दल में अशोक कुमार भी थे, जिन्होंने तिलवासा खदान का दौरा किया।
इसके दूसरे दिन डीजीएमएस की टीम रवाना होते ही वेकोलि सीएमडी, निदेशक खदान, मुख्यमहाप्रबंधक वेकोलि चंद्रपुर क्षेत्र के निर्देश पर तिलवासा खदान के प्रबंधक वर्मा ने डीजीएमएस के निर्देशों की परवाह न करते हुए उत्पादन शुरु कर दिया, पिछले ३ दिन से लगातार २४ घंटे उत्पादन जारी है।
उल्लेखनीय यह है कि बिना डीजीएमएस के अनुमति के वेकोलि प्रबंधन सेक्शन-२२ के बाद उत्पादन नहीं कर सकती है, तेलवासा खदान और वेकोलि मुख्यालय के एक उच्च अधिकारी ने नाम न छापने के शर्त पर जानकारी दी कि अगर सेक्शन-२२ के बाद उत्पादन जारी है तो डीजीएमएस दल से वेकोलि प्रबंधन ने समझौता किया है।
या फिर पहले डीजीएमएस और वेकोलि प्रबंधन के मध्य समझौता हो चुका होगा, फिर सेक्शन-२२ लगाया गया ताकि इस दौरान उत्पादन का लिखित रिकॉर्ड न तैयार हो और उत्पादन की बिक्री से होने वाले फायदे का बेख़ौफ़ लाभ उठाया जा सके।
या ऐसा भी हो सकता है डीजीएमएस के निर्देश की परवाह न करते हुए वेकोलि प्रबंधन अपने कर्मियों की जान जोखिम में डालकर उत्पादन कर रहा है।
उक्त तीनो संभावनाओं में से एक बात “कॉमन” है, सेक्शन-२२ के बाद उत्पादन शुरु रहने के दरम्यान सिर्फ सकते में मजदूर वर्ग है, कोई अनहोनी घटना लालमटिया, पश्चिम बंगाल की खदान की तरह हो गयी तो कार्यरत मजदूरों की जान जानी निश्चित है। तब डीजीएमएस और वेकोलि प्रबंधन एक दूसरे के मत्थे आरोप जड़ अपना पल्ला झाड़ लेंगे।इस सन्दर्भ में मजदूर यूनियनों की चुप्पी यह इंगित कर रही है कि वे भी प्रबंधन के इस करतूत में हिस्सेदार हैं।