– मामला वार्षिक CHP वैगन लोडिंग-अनलोडिंग मैन्टनेश का
नागपुर– महानिर्मिती का क्रिटीकल कोराडी पावर प्लांट 660 मेगावाट बिजली उत्पादन क्षमता अंतर्गत कोल वैगन टिप्लर लोडिंग अनलोडिंग कार्यों का वार्षिक ठेका के लिए ई-निविदा आमंत्रित किया गया था। जिसकी निविदा क्रमांक Rfx 3000023098 है। इस कार्य के लिए अत्यंत अनुभव कुशल कंपनियों को इस कार्य का ठेका दिया जाना था।
बताते है कि निविदा प्रपत्र प्रस्तुत करने वाली 3 फर्म हैं। नतीजतन यह ठेका हाथ से जानें की भनक लगने के भय से कार्यरत पुरानी और अधेड कंपनी सकपका गए थे। नतीजतन अपनी स्पर्धी फर्म को रास्ते से हटाने के लिए दांव-पेच शुरु होने लगे। इतना ही नहीं निविदा कमेटी की दाल नही गलने का भी भय सताने लगा है ?
इस संबंध में मुख्य अभियंता श्री प्रकाश खंडारे से फोन पर असलियत जानने का प्रयास किया गया। परंतु अज्ञात कारणों से मुख्य अभियंता खंडारे फोन उठाने को तैयार नहीं है ?
इस संबंध में सूत्रों की मानें तो दूसरी फर्म को यह ठेका मिलना चाहिए,यह नहीं पुरानी कंपनी के चहेते अधिकारियों के दिलों दिमाग में एक तरह का सदमा सा होने लगा है ?
कोल हैंडलिंग प्लांट के उप मुख्य अभियंता विराज चोधरी से इस संबंध में पूछा गया तो उन्होंने खरीदी-बिक्री विभाग के इंचार्ज से जानकारी मिलने की बात कहकर टला दिया।
उसी प्रकार मेसर्स: कुणाल इंटरप्राइजेस के नियोक्ता उमाकांत मोडक पिछले दो सप्ताह से अस्वस्थ रहने की वजह से वे जानकारी नहीं दे सकते।उनका कार्य कंपनी के निवासी अभियंता अरविंद संभालते हैं।उनसे संपर्क करने का प्रयास शुरु है।वे नागपुर से वाहर होने के कारण संपर्क नही हो पा रहा है।
गोपनीय सूत्रों की मानें तो संबंधित कार्यों की निविदा वापस रद्द करने के मामले में संबंधित कंपनी के स्पर्धियों द्धारा श्रमिकों की ESIC, EPF के दस्तावेजों में सुनियोजित तरीके त्रुटियों करवा दिये जाने की वजह भी हो सकती है। टेंडर ‘रिफ्लोड’ करने की बात अभि तक स्पष्ट नहीं हो सकी है। परंतु टेंडर ‘स्क्रूटनी’ के बाद टेंडर ‘रेफ्लोट’ किया गया।यह सत्य है।
अब सवाल यह उठता है की पहली बार में फर्जी कागज पकड़ में क्यो नही आये। यह विषय समझ से परे है। इस संबंध में कुछ लोगों ने सूचना अधिकार कानून के तहत निवेदन करने की तैयारियां शुरू कर दिया है, हालांकि अन्यायग्रस्त फर्म कोर्ट का दरवाजा खटखटा सकती हैं। निविदा नियम- शर्तों का उलंघन तथा का खराब और समयावधि के भीतर पूरा नही होने की दिशा में दोषी फर्म को ब्लैकलिस्ट किया जाता है।