नागपुर: पिछले 36 साल से अपनी मांगों को लेकर अमरावती, वर्धा और नागपुर जिले के प्रकल्प ग्रस्त मंत्रियो और विधायकों के पास जा रहे हैं तो वहीं कईयों बार नागपुर विधानभवन पर भी मोर्चा लेकर आ रहे हैं. इस बार भी गणेश टेकड़ी रोड पर यह प्रकल्पग्रस्त अपनी मांगों को लेकर धरना प्रदर्शन कर रहे हैं. लेकिन अब तक इन्हें मुआवजा और नौकरियां नहीं दी गई है. प्रकल्पग्रस्तों का कहना है कि मोर्शी तहसील के सिंभोरा गांव में 1976 में पूर्व राष्ट्रपति प्रतिभाताई पाटिल तब वह समाजकल्याण मंत्री थी. उन्होंने अप्परवर्धा नल दमयंती सागर का भूमिपूजन किया था. उस दौरान तीनो जिलों की कुल 8192. 93 हेक्टर जमीन और घरों का भूमि अधिग्रहण किया गया था. जिसमें अमरावती जिले की 4732, वर्धा जिले की 3439 और नागपुर जिले की 20 हेक्टर जमीन ली गई थी और प्रकल्पग्रस्तों को दाखले दिए गए थे.
इसमें कुल प्रकल्पग्रस्त 7015 हैं, जिसमें अमरावती जिले के 3466 थे. जिसमें से 1007 प्रकल्पग्रस्तों को सरकारी नौकरी दी गई थी. लेकिन 2459 लोग आज भी नौकरी से वंचित हैं. वर्धा जिले में कुल 3566 प्रकल्पग्रस्तों में से केवल 113 प्रकल्पग्रस्तों को नौकरी दी गई है और नागपुर जिले के 13 प्रकल्पग्रस्तों में से अब तक किसी को भी नौकरी नहीं दी गई है. कुल मिलाकर 5895 प्रकल्पग्रस्त आज भी नौकरी नहीं मिलने से वंचित हैं. अप्परवर्धा डैम सिंभोरा में किसानों की उपजाऊ जमीन और घर राष्ट्रविकास के नाम पर लिए गए. जिसका सभी प्रकल्पग्रस्तों को बहुत ही कम मुआवजा दिया गया. गांव का पुर्नवसन करने के लिए कहा गया था. लेकिन अब तक वह प्रस्ताव ही नहीं बनाया गया. जो अमीर थे वे कोर्ट में गए और उनकी जीत हुयी जिसके बाद उन्हें ज्यादा मुहावजा मिला. लेकिन जो गरीब है वह कोर्ट में नहीं जा सके. वे आज भी तकलीफ़ों में जी रहे हैं.
इस मोर्चे में मोर्शी समेत वर्धा के 140 गांव के प्रकल्पग्रस्त शामिल हुए थे. इन्होने मांग की है कि इन्हें सही मुहावजा दिया जाए और नौकरियों से वंचित लोगों को नौकरी दी जाए. इस मोर्चे का नेतृत्व अप्परवर्धा धरणग्रस्त संघर्ष समिति के अध्यक्ष मुन्ना रायचुरा ने किया.
