Published On : Wed, Dec 7th, 2022

‘तथागत’ महानाट्य के ज़रिए डॉ. आंबेडकर को अभिवादन

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पं. प्रभाकर धाकड़े के वादन से श्रोता हुए मंत्रमुग्ध

नागपुर: जिन महापुरुष भगवान बुद्ध के अनुयायी हैं, उनके ज्ञान और दर्शन का प्रचार प्रसार करने के उद्देश्य से डॉक्टर बाबासाहेब आंबेडकर ने ‘बुद्ध और उनका धम्म’ पुस्तक लिखी थी। डॉक्टर अंबेडकर के महापरिनिर्वाण दिवस के अवसर पर मंगलवार को खासदार सांस्कृतिक महोत्सव में ‘तथागत’ महानाट्य के माध्यम से बुद्ध के चरित्र की नाटकीय पुनर्रचना प्रस्तुत कर डॉ बाबासाहेब आंबेडकर का अभिवादन किया गया।

भारत के सबसे बड़े खासदार सांस्कृतिक महोत्सव के पांचवें दिन संविधान निर्माता डॉ बाबासाहेब आंबेडकर के महापरिनिर्वाण दिवस के अवसर पर भगवान बुद्ध के जीवन पर आधारित महानाट्य तथागत की 100वी प्रस्तुति दी गई। इससे पहले सुरमनी पंडित प्रभाकर धाकड़ गुरुजी के विभाजन से श्रोता मंत्रमुग्ध हुए। पांचवें दिन के कार्यक्रम की शुरुआत श्याम देशपांडे की टीम द्वारा प्रस्तुत एक देशभक्ति गीत के साथ हुई। कार्यक्रम का संचालन किशोर गलांडे ने किया।


मंथन, नागपुर निर्मित, मोहन मदन प्रस्तुत एवं शैलेंद्र कृष्णा बागड़ी दिल दर्शित तथागत महानाट्य का लेखन किरण बागड़ी ने किया है। संगीत भूपेश सवाई ने दिया है। कविता कृष्णमूर्ति, उदित नारायण, ओम पुरी व विक्रम गोखले जैसे दिग्गज कलाकारों की पार्श्वभूमि वाले इस महानाट्य में 200 कलाकारों ने भूमिका निभाई है। बुद्धकालीन संगीत रंग भूषा वेशभूषा घोड़े भरत इस मानक की विशेषता रही। भगवान बुद्ध की कहानी डॉक्टर बाबासाहेब आंबेडकर के कथन के माध्यम से सामने आती है। भगवान बुद्ध के जीवन के विभिन्न चरणों जैसे बुद्ध की पीड़ा के कारणों की खोज और उनके महापरिनिर्वाण को नाटक में चित्रित किया गया था। बुद्धत्व प्राप्त करने के बाद समाज में फैली अराजकता, असमानता, अमानवीयता, भेदभाव और हिंसा को समाप्त करने के लिए प्रयास करने वाले शाक्यमुनि तथा मानवता, अहिंसा और ज्ञान की शिक्षा देने वाले बौद्ध धम्म के संस्थापक तथागत बुद्ध इस नाटक के माध्यम से नागपुर वासियों के दिलों में बसते चले गए। कार्यक्रम में एड. सुलेखा कुंभारे, भंते धम्मोदय महाथेरो, नाना शामकुले, भूपेश थुलकर, सुरमणि पंडित प्रभाकर धाकड़, अनंतराव घारड, वीएनआईटी के निदेशक प्रमोद पडोले, मेडिकल कॉलेज के अधिष्ठाता डॉ राज गजभिये, मिलिंद माने, एडवोकेट धर्मपाल मेश्राम, अरविंद गजभिए, संदीप जाधव, राजेश हातीबेड, सिद्धार्थ गायकवाड मौजूद रहे। इस अवसर पर फिल्म ‘परिनिर्वाण’ का पोस्टर और टीचर रिलीज किया गया। यह फिल्म रामदेव वाटकर और शैलेंद्र कृष्णा की है

कार्यक्रम का संचालन रेणुका देशकर ने किया। खासदार सांस्कृतिक महोत्सव की सफलता के लिए आयोजन समिति के अध्यक्ष प्रोफेसर अनिल सोले, समस्त उपाध्यक्ष प्रोफेसर मधु पांडेय, डॉ गौरी शंकर पराशर, अशोक मानकर, दिलीप जाधव, सचिव जयप्रकाश गुप्ता, कोषाध्यक्ष प्रोफेसर राजेश बागड़ी, सभी सदस्य बाल कुलकर्णी, सारंग गडकरी, अविनाश घुशे, हाजी अब्दुल कादिर, संदीप गवई, संजय गुलकारी, रेणुका देशकर, एडवोकेट नितिन तेलगोटे, विलास त्रिवेदी, आशीष वांदिले, चेतन कैरकर, भोलानाथ सहारे, किशोर पाटिल, मनीषा काशीकर अथक परिश्रम कर रहे हैं। इससे पूर्व राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त वायलिन बाद सुरमणि पंडित प्रभाकर धाकड़े गुरुजी के सुंदर वायलिन वादन से नागपुर वासियों को रूबरू कराया गया। उन्होंने राग यमन बजाना शुरू किया।

भारतीय संविधान के तुम शिल्पकार हो, यह गीत पंडित धाकड़े गुरुजी ने वायलिन के सुरों सजाते हुए डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर को स्वर सुमानांजलि दी। उन्हें तबले पर राम खडसे ने तथा तानपुरे पर लक्ष्यती काजलकर ने साथ दिया। धाकड़े गुरुजी पिछले 60 वर्षों से अपने वायलिन वादन से प्रशंसकों को मंत्रमुग्ध कर रहे हैं और उन्होंने देश-विदेश में कई शिष्य बनाए हैं।