Published On : Mon, Apr 5th, 2021

आज स्वतंत्रता सेनानी अतुलचंद्र कुमार की जयंती

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अतुल चंद्र कुमार (1905-1967) एक महान स्वतंत्रता सेनानी, राजनेता, शिक्षाविद, वकील, समाजसेवक और नेताजी सुभाष चंद्र बोस के करीबी सहकारी थे. उन्होंने 1921 में महात्मा गांधी के असहयोग आंदोलन सहित अंग्रेजों के खिलाफ कई सत्याग्रह आंदोलनों में भाग लिया. 1930 के दशक के दौरान कई वर्षों तक उन्हें सश्रम कारावास हुआ और अंग्रेज़ पुलिस के हाथों प्रताड़ना झेलनी पड़ी.

भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस और भारत रत्न सी राजगोपालाचारी की स्वातंत्र पार्टी में तीन दशकों से भी ज़्यादा समय के लंबे राजनैतिक सेवा के दौरान उन्होंने कई महत्त्वपूर्ण योगदान दिए जिनमें से प्रमुख योगदान हैं: बंगाल के तत्कालीन राज्यपाल स्टैनली जैक्सन के भारत विरोधी बयान के जवाब में विरोध प्रदर्शन करना; साइमन कमीशन के खिलाफ आंदोलनों का आयोजन; हरिपुरा और त्रिपुरी कांग्रेस सत्र के अध्यक्ष के रूप में नेताजी के चयन को सक्षम करना; छात्रों में देशभक्ती कि भावना जगाने के लिए नेताजी और सरोजिनी नायडू जैसे नेताओं कि बैठकों का बंगाल के कई पाठशालाओं व काॅलेजों में आयोजन करना;

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1928 में उत्तरी बंगाल के सुदूर अड़ाईडांगा गाँव में एक स्कूल की स्थापना; चीन-जापान युद्ध के दौरान अगस्त 1938 में चीन में एक वैद्यकीय प्रतिनिधिमंडल भेजने में नेताजी की सहायता; बंगाल में तत्कालीन एजुकेशन बिल के सम्बंधित महत्वपूर्ण कार्य; अक्टूबर 1943 में नेताजी द्वारा बर्मा मोर्चे से जापानी पनडुब्बी में भेजे गए दूत के ज़रिए एक मिशन के संबंधित सूचना और दस्तावेज़ों को प्राप्त करना और नेताजी के निर्देशों का पालन करते हुए उनके मिशन को कामयाब करना; बंगाल में वार्षिक बाढ़ के दौरान बाढ़ग्रस्त इलाकों में राहत कार्यों का निरीक्षण करना और मुट्ठी भर सहकर्मियों के साथ मिलकर सैंकड़ों लोगों कि जान बचाना; सोवियत रशिया के प्रधानमंत्री बुल्गानिन और ख्रुश्चेव के 1955 भारत यात्रा के दौरान उनके लिए पुस्तकों का सहलेखन करना, आचार्य विनोबा भावे के 1962 मालदा यात्रा के दौरान उनकी बैठकों और गतिविधियों का समन्वय करना, पूर्व केंद्रीय स्वस्थ्य मंत्री डॉ सुशीला नायर के साथ मिलकर महाराष्ट्र के सेवाग्राम में सामाजिक कार्यों के लिए योगदान, और बंगाल में किसानों के उत्थान के लिए काम करना तथा उन्हें अत्याचारी ज़मिनदारों से बचाना. पश्चिम बंगाल सरकार ने राष्ट्र के प्रति उनके अपार योगदान के सम्मान में मालदा में एक बाजार का नाम ‘अतुल मार्केट’ रखा. उनके बताए हुए सिद्धांतों पर अग्रसर होते हुए उनके नाती व नागपुर के बाशिंदे सौम्यजीत ठाकुर भी शिक्षण, पत्रकारी व सामाजिक कार्यों में योगदान दे रहे हैं.

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