नागपुर: बीते तीन माह से लापता जय का पता लगने में वन विभाग अब तक नाकामियाब साबित हुआ है। विदर्भ के अभयारण्यों की पहचान बन चुका जय बाघ वन्य प्रेमियों के आकर्षण का केंद्र था। पिछले कुछ समय से उसकी उपस्थिति से उमरेड करंडला अभ्यारण में पर्यटकों की संख्या में भी बढ़ोत्री हुई थी। जय बीते तीन माह से लापता है। पर उसके लापता होने की जानकारी हाल ही में सार्वजनिक हुई थी।
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक उसकी निगरानी और जंगल में उसकी स्थिति का पता लगाने के लिए वन विभाग द्वारा उसके गले में लगाया गया रेडिओ कॉलर सिग्नल सिस्टम बीते तीन माह से बंद है। इसलिए जय को लेकर तरह-तरह के कयास लगाए जा रहे है। फारेस्ट पर रिसर्च करने वाली एनजीओ ने जय को ढूंढने में अब तक नाकामियाब रहे वन विभाग को इस मामले के प्रति लापरवाही बरतने का आरोप लगाया है। जबकि वन विभाग जय को खोजने के लिए प्रयास किये जाने की बात कह रहा है। जय को लेकर कई तरह के संदेह व्यक्त रहा है। जिसमे उसका शिकार किये जाने की भी चर्चा शुरू है।
उमरेड करंडला अभयारण्य में अपनी मौजूदगी के साथ ही जय लगातार चर्चा में रहा और उस पर शिकारियों नजर थी। इसके साथ ही जय द्वारा घरेलू जानवरों के शिकार की वजह से वह अभयारण्य के इर्द गिर्द रहने वाले लोगो की आँखों में खटक रहा था। फिलहाल जय की स्थिति का जब तक पता नहीं लगता तब तक सिर्फ कयास ही लगाए जा सकते है। पर उसकी शुमशुदगी के साथ रेडिओ कॉलर सिग्नल सिस्टम का बंद होना कई सवाल खड़े कर रहा है।