Published On : Fri, Feb 23rd, 2018

देश में हैं हज़ारों नीरव मोदी, एसआईटी गठित कर सभी बैंकों की जांच हो : अग्रवाल

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Nirav Modi

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नागपुर: महाराष्ट्र प्रदेश कांग्रेस समिति के किसान व खेत मजदूर विभाग के प्रदेश उपाध्यक्ष संदीप अग्रवाल ने एक विज्ञप्ति जारी कर कहा कि मौजूदा पीएनबी घोटाले से पूरा देश नाराज है. वहीं इस प्रकार के लाखों प्रकरण खादी-खाकी की मिलीभगत से आज भी दफन हैं. देश में कई नीरव मोदी अभी भी पूरी शान-ओ-शौकत की जिंदगी जी रहे हैं. मोदी सरकार में विभिन्न क्षेत्रों के चुनिंदा दिग्गजों की मानो लॉटरी ही लग गई हैं. अगर आंकड़ों पर नज़र डालें तो वर्ष २००८ में सरकारी बैंकों का बकाया कर्ज (एनपीए) मात्र ४० हज़ार करोड़ था, जो वर्ष २०१४ में बढ़कर २ लाख ६० हजार ५३१ करोड़ हो गया. जिसमें ऐसे कर्जदार का समवेश हैं जिन पर १० करोड़ से ज्यादा की उधारी है. इन पर १,६०,१६४ करोड़ रुपए एनपीए का बाकाया था. जिनकी संख्या केवल २८९७ है. सरकारी बैंकों का एनपीए दिसंबर २०१५ में ३,९३,०४७ करोड़ और दिसंबर २०१६ में ६,१४,८७२ करोड़ हो गया. जो सकल कर्ज का ११% है. जबकि निजी बैंकों का एनपीए करीबन ८३००० करोड़ रुपए का है.

अग्रवाल के अनुसार ३१ जून २०१७ को ८,२९,३३३ करोड़ हो गया. केंद्रीय वित्त राज्यमंत्री के अनुसार बैंकों के डूबत खातों की रकम फ़िलहाल लगभग ८ लाख करोड़ से अधिक है. ऐसा भी अनुमान है कि एनपीए का आंकड़ा मार्च २०१८ में और बढेगा.

वैसे सच कहा जाए तो वर्ष २००० से अब तक ४ लाख करोड़ रुपए “राइट ऑफ (माफ़)” किए जा चुके हैं. हाल ही में रिजर्व बैंक ऑफ़ इंडिया के सेवानिवृत्त डिप्टी गवर्नर ने अनुमान जताया कि एनपीए का उक्त आंकड़ा २० लाख करोड़ तक पहुंच सकता हैं. जिसका बड़ा हिस्सा पुनर्गठित करने के प्रयत्न हो रहे हैं.

केवल एसबीआई का एनपीए ९८,१७२.८० करोड़, पीएनबी का ५५,५८१ करोड़ व बैंक ऑफ इंडिया का एनपीए ४९,८७९.१३ करोड़ के करीब हैं. बैंक ऑफ बड़ोदा का ४०,५२१ करोड़, इंडियन ओवरसीज बैंक का ३३,०४८ करोड़ हैं. केवल २५% सरकारी बैंकों का एनपीए ५,२९,६५५.८१ करोड़ हैं.

उल्लेखनीय यह है कि देश के ५२ प्रकल्प रुके हुए हैं, जहां बैंकों के ५५ हज़ार करोड़ रुपये फंसे हैं. इन कारखानों की लागत साढ़े ३ लाख करोड़ हैं. बैंकों ने ६७ हज़ार करोड़ रूपए का कर्ज पहले ही मंजूर कर दिया हैं. इनमें १० मुख्य कारखानों का समवेश हैं, जिन्हें बैंकों ने हज़ारों करोड़ रुपए दे चुके हैं.

इसार स्टील इंडिया ( ७०५४ करोड़ ), केएसके महानदी पॉवर कंपनी (३११३ करोड़), कोस्टर एनर्जन (२९२२ करोड़), जीएनआर कमलांगा एनर्जी (२४४७ करोड़),भूषण स्टील(१९४० करोड़),इसार पॉवर गुजरात(१८२५ करोड़),वीसा स्टील(१७४३ करोड़),जीएमआर राजमुंद्री(१६४४ करोड़),जीएमआर छत्तीसगढ़ एनर्जी (१५८९ करोड़) व् लैंको अमरकंटक(१५३० करोड़), उक्त आंकड़ा मार्च २०१८ तक ११,५०,००० करोड़ हो सकता है.

अग्रवाल ने आरोप लगाया कि अधिकांश सरकारी बैंक घाटे में हैं. कुल २५ में से १४ सरकारी बैंक घाटे में हैं और उनका कुल नुकसान २५,४८४.५९ करोड़ का हैं. जिसका मुख्य कारण एनपीए की रकम को “राइट ऑफ (माफ़)” करना बताया जा रहा हैं. जिसमें पीएनबी को ५३७६.१४ करोड़ रुपए, कैनेरा बैंक को ३९०५.४९ करोड़ रूपए, बैंक ऑफ इंडिया ३५८७.०९ करोड़, बैंक ऑफ़ बड़ोदा को ३२३०.१४ करोड़, सिंडिकेट बैंक को २१५८.७७ करोड़, यूको बैंक को १७१५.१६ करोड़ रूपए का घाटा “राइट ऑफ (माफ़)” करने के कारण हुआ हैं. १००० करोड़ से कम घाटे वाले बैंकों में इंडियन ओवरसीज बैंक, कॉर्पोरेशन बैंक, देना बैंक, बैंक ऑफ महाराष्ट्र का समावेश है.

घाटे के कारण आज की सूरत में बैंकों के पास नगदी का आभाव है. इन्हें संकट से निकालने के लिए केंद्र सरकार ने पिछले ११ वर्षों में लगभग २,६०,००० करोड़ रूपए बैंकों को दिया हैं. बैंकों को डुबोने में बैंकों के कर्मियों का बड़ा हाथ है. अधिकांश सिफ़रिशकर्ता इन्हीं के माध्यम से आते रहे हैं, इनमें से अधिकांशों ने डुबोया हैं.

अग्रवाल के अनुसार पिछले ५ वर्षों में ३,६७,७६५ करोड़ रुपए बड़े उद्योगपतियों का कर्ज माफ़ किया गया हैं. कृषि प्रदान देश होने के बावजूद किसानों से ज्यादा ब्याज लिया जाता हैं. उक्त उद्योगपतियों को कम ब्याज में पैसा दिया जाता है. अगर आंकड़ों पर नज़र डालें तो गुजरात सरकार ने नैनो प्लांट के लिए ५५८.५८ करोड़ रुपए मात्र ०.१% ब्याज पर दिया था, जो कि २० वर्ष में लौटाना था. स्टील उत्पादक लक्ष्मी नारायण मित्तल को पंजाब सरकार ने निवेश के लिए १२०० करोड़ का कर्ज दिया, वह भी ०.१% ब्याज दर से. वहीं दूसरी ओर किसान १२% दर से ट्रैक्टर खरीदता है, जबकि टाटा ७%की दर से मर्सडीज व होंडा की महंगी कार खरीद सकता है.

नेशनल सैंपल सर्वे रिपोर्ट के अनुसार ९ करोड़ कृषक परिवारों में से ५२% परिवार कर्ज में डूबे हैं. सम्पूर्ण देश का औसत कर्ज ४७००० रुपए लगभग है.

अग्रवाल ने बताया कि आरबीआई की दोगली नीति भी घोटालों को शह दे रही है. सरकार की इच्छाशक्ति सकारात्मक रही तो निकट भविष्य में बैंकों के सम्पूर्ण घोटालों को उजागर किया जा सकता हैं. इसके लिए सीबीआई अंतर्गत विशेष एसआईटी गठित कर सभी बैंकों की सूक्ष्म जांच समय की मांग है. सरकार ने उक्त मांग को लेकर गंभीरता नहीं दिखाई तो शीघ्र की आंदोलन किया जाएंगा.