नागपुर: मनपा प्रशासन व सत्तापक्ष समय की मांग के अनुरूप सक्रिय न होने के कारण नागपुर महानगरपालिका ‘स्थानीय स्वराज्य संस्था’ की बजाय अनुदान से संचलित संस्था बनने के कगार पर पहुँच चुकी है. वजह साफ़ है कि नागपुर मनपा का प्रमुख आय स्त्रोत ‘संपत्ति कर’ है, जिसे कभी प्रशासन द्वारा तहरिज नहीं दी गई. वर्तमान आर्थिक संकट के दौर में भी प्रशासन व सत्तापक्ष ‘संपत्ति कर ‘ संकलन को प्राथमिकता देने के नाम पर चुप्पी साधे बैठ राज्य सरकार से अत्याधिक अनुदान मिलने की राह तकने में मदहोश है.
ज्ञात हो कि, नागपुर महानगरपालिका प्रशासन को बढ़ते शहरीकरण के मद्देनज़र १५० करोड़ रूपए दर माह की आवश्यकता है. इस राशि से मनपा का स्थाई खर्च सह विकासकार्य व कर्ज का चुकारा भली-भांति से हो जाता है. यह राशि कर संकलन, किराये-लीज, एनओसी, नक्शा मंजूरी सह अनुदान आदि से उम्मीद के अनुरूप आना जरुरी है, बशर्ते इस ओर गंभीरता से कोशिशें की जानी जरुरी है. प्रशासन ऐसे में एक ही बयान देता आया है कि, कर्मचारियों की कमी और खादीधारियों के हस्तक्षेप से टारगेट पूर्ण नहीं हो पाता है.
उक्त राशि को प्राप्त करने हेतु मनपा का प्रमुख आय स्त्रोत संपत्ति कर होना चाहिए. इसे सत्ताधारी व प्रशासन को स्वीकारने में कोई समस्या नहीं होनी चाहिए. आय के प्रमुख स्त्रोत को नए-पुराने कर दाताओं से वसूली में न खाकी और न ही खादी को अड़ंगा डालना चाहिए. आजतक ऐसा ही होता आया है, कि एक तरफ नगरसेवक -पदाधिकारी अपने-अपने क्षेत्र के विकास हेतु निधि के लिए गुहार लगाते है, तो दूसरी ओर जब प्रशासन कर संकलन कड़ाई से करती है, तब एक नगरसेवक-पदाधिकारी अड़ंगा लगते रहे है.
मनपा के हद्द में सवा ढाई से दो लाख अतिरिक्त निवासी-व्यावसायिक सम्पत्तियाँ है, जिन पर वर्षो से कर नहीं लगा है. मनपा द्वारा जारी सर्वे दिसंबर २०१७ में पूर्ण होने की आशंका है, तब संभावना यह है कि शहर में कुल ७ – साढ़े ७ लाख सम्पत्तियाँ होंगी. इन नए-पुराने सम्पत्तियों को ‘टैक्स नेट ‘ में लाया गया तो मनपा को बड़ा राजस्व प्राप्त हो सकता है.मनपा संपत्ति कर विभाग में गलत कर अंकेक्षण, चुंगी के छापेमार कार्रवाई, एलबीटी से सम्बंधित अनगिनत प्रकरण विभाग अंतर्गत प्रलंबित है. इसमें से कुछ मामले से सम्बंधित फाइल दबा दी गई है.इन सभी मामलों का अंकेक्षण मनपायुक्त ने करनी चाहिए. मनपा का दूसरा आय का स्त्रोत जल कर है, इस विभाग में अनाधिकृत बस्तियों को झोपड़पट्टी, व्यावसायिक प्रतिष्ठानों को निवासी श्रेणी के कनेक्शन देने जैसे अनगिनत मामलों में मनपा के राजस्व का नुकसान करवाया जा रहा है.
इसके अलावा मनपा का खुद का आय स्त्रोत नक्शा मंजूरी (नगर रचना विभाग), मनपा के बाज़ारों से किराया व लीज की राशि, फायर की एनओसी (अग्निशमन विभाग) आदि में पारदर्शकता की भारी कमी है.
संपत्ति कर व अंकेक्षण समिति प्रमुख को कक्ष तक नसीब नहीं. मनपा आज सम्पत्तिकर के भरोसे ही संचलन होने के कगार पर पहुँच चुकी है. बावजूद इसके मनपा में संपत्ति कर संकलन सभापति को स्वतंत्र कक्ष नहीं दिया जाना शोकांतिक है. इस रवैये को कोई राजनैतिक रंग दे रहा तो कोई प्रशासन की लापरवाही दर्शा रहा. गत दिनों मनपा का शिष्टमंडल बिना स्थाई समिति अध्यक्ष व संपत्ति कर व अंकेक्षण समिति प्रमुख को संग लिए मुख्यमंत्री से मिले, यह मामला भी गर्मागर्म चर्चा का विषय बना हुआ है. कहा तो यह भी जा रहा है कि सत्ताधारियों को मनपा से ज्यादा लॉबी की चिंता सता रही है.
मनपा संचलन के लिए आये बढ़ाने, जल-संपत्ति कर एकमुश्त अभय योजना, सम्पत्तियों की जारी सर्वे आदि को लेकर मनपा के सभी जोन निहाय आज ११ जुलाई से लेकर १७ जुलाई तक बैठकों का दौर जारी रहेगा. इन बैठकों में आयुक्त, स्थाई समिति अध्यक्ष, सत्तापक्ष नेता, जल व संपत्ति कर समिति के प्रमुख प्रमुखता से उपस्थित रहेंगे.
