Published On : Thu, Sep 6th, 2018

स्क्रब टाइफस कीड़े के काटे मरीज़ को मेडिकल ने लौटाया, कहा हफ्तेभर बाद लक्ष्ण दिखे तो आना

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नागपुर : मेडिकल हॉस्पिटल में मरीजों के साथ समय समय पर लापरवाही के मामले सामने आते हैं. ऐसे ही एक मामले में स्क्रब टाइफस के वायरस के काटने के बाद भी मरीज का न तो ब्लड टेस्ट किया गया और न ही सही तरीके से उसका इलाज किया गया. केवल दवाई देकर उसे अगले हफ्ते आने के लिए कहा गया. जिसके कारण सामाजिक संगठन किंग कोबरा आर्गेनाइजेशन यूथ फ़ोर्स के संस्थापक अरविंद कुमार रतूड़ी ने नाराजगी जताई है और साथ ही मेडिकल हॉस्पिटल के डीन और स्वास्थ विभाग के खिलाफ कोर्ट जाने की भी बात उन्होंने कही.

रतूड़ी की जानकारी के अनुसार उनके संगठन से जुड़े पशु विशेषज्ञ और सर्पमित्र शुभम कृष्णा पराले को मंगलवार 7 बजे के आसपास जानलेवा के नाम से पहचान बना चुका स्क्रब टाइफस नामक बीमारी का वायरस फैलाने वाले जहरीले कीड़े ने पाँव में काटा. ये कब से पाँव में चिपका था पीड़ित शुभम को पता नहीं था. जब वह इलाज के लिए मेडीकल हॉस्पिटल गया तो उसे वापस भेजा गया.

रतूड़ी ने बताया कि शुभम कुछ जहरीले सापों को पकड़ने के लिए हाई कोर्ट के जज के बगंले और पुलिस कंट्रोल रूम के पास गया था. उसी समय जहरीला कीड़ा शुभम पराले के शरीर पर चिपक गया होगा. शुभम को असहनीय दर्द सहन नहीं हुआ तो वह मेडिकल हास्पीटल में गया, लेकिन वहां से उसे लौटा दिया गया.बाद में दर्द बढ़ने पर शुभम फिर हॉस्पिटल पंहुचा, लेकिन फिर डॉक्टरों ने उसे वापस भेज दिया.

मेडिकल के डाक्टरों और प्रशासन ने इतनी गंभीर बात की अनदेखी करते हुए बिना कोई जांच किए ही कुछ दवाइयां लिखकर शुभम को दी और कहा कि इसकी दवाइयां और इंजेक्शन हमारे पास उपलब्ध नहीं है, तुम्हें अभी कुछ भी नहीं हुआ है. इस बिमारी के लक्षण सात दिनों में ही दिखाई देते हैं. जब कुछ लक्षण दिखेगे तब आना. जिसके बाद रतूड़ी अपनी संस्था के कुछ कार्यकर्ताओं के साथ शुभम के इलाज के लिए मेडिकल पहुंचे. जिसके कारण मरीज के प्रति डॉक्टरों की बरती गई लापरवाही देखकर वे नाराज हो गए और वहां उनकी बहस भी हो गई.

अरविंद कुमार रतूड़ी ने इस बारे में मेडिकल कॉलेज के जनसंपर्क अधिकारी डॉ.गिरीश भुयार को फोन किया और सारी घटना से अवगत करवाया. जिस पर भुयार ने कहा कि बहुत ही सिरियस है तो उसे ओपीडी में लेकर जाओ और मुझे आकर मिलो, वैसे घबराने की जरूरत नहीं है. इससे किसी की मौत नहीं होती है, पेपर वाले गलत कह रहे हैं. सबको मिलकर अफ़वाह न फैलाते हुए जनहितार्थ जनजागरण करना चाहिए.

लेकिन जब उन्होंने पूँछा कि डाक्टर साहब हमारे राज्य समेत मध्य प्रदेश में और तो और आपके ही मेडिकल कॉलेज में असंख्य लोग इसके काटने से मौत के मुंह में चले गए हैं, तो उन्हें कोई जवाब नहीं मिला. रतूड़ी ने बताया कि उसे मेडिकल हॉस्पिटल में लेकर जाने पर न तो उसका ब्लड टेस्ट हुआ और न ही उसका सही तरीके से इलाज किया गया. मरीज अभी भी तकलीफ में है. उन्होंने कहा कि कई बार मरीजों के साथ मेडिकल के डॉक्टर गलत व्यवहार और लापरवाही करते हैं. कई बार उन्होंने भी इसकी शिकायत की है. उन्होंने कहा कि हॉस्पिटल के डॉक्टरों की लापरवाही को लेकर वे मेडिकल हॉस्पिटल के डीन और स्वास्थ विभाग के खिलाफ केस करेंगे .

इस बारे में जनसंपर्क अधिकारी डॉ. गिरीश भुयार ने बताया कि सभी स्क्रब टाइफस के मरीजों को एडमिट नहीं किया जाता है कुछ गंभीर मरीजों को ही एडमिट किया जाता है. इसकी दवाईयां और जांच दोनों हॉस्पिटल में मौजूद है. ऐसा कोई मरीज है तो उसे भेजिए. उन्होंने कहा कि इस मरीज को लेकर उन्हें जानकारी नहीं है. हालांकि उन्होंने यह भी जानकारी दी कि हॉस्पिटल में करीब 14 मरीज स्क्रब टाइफस से पीड़ित है और कुछ लोगों की मौत भी हो चुकी है.