Published On : Tue, Feb 6th, 2018

कड़की मनपा पर और कर्ज लेने का दबाव

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NMC Nagpur

नागपुर: राज्य सरकार के गलत अंकेक्षण के कारण नागपुर महानगरपालिका को अल्प जीएसटी मिल रही है। जबकि मनपा को वर्तमान में मिल रही जीएसटी की दोगुणी राशि कम दरकार है। इस मामले में सहयोग के बजाय सत्ताधारी केंद्रीय मंत्री ने गत माह मनपा प्रशासन की अहम बैठक लेकर उन्हें जमकर फटकार लगाई। अगले साल चुनाव है बैंक से कर्ज लेकर चुनाव पूर्व सारे बकाया व अर्धवट कार्यों को पूरा करें।

इसके पूर्व भी मनपा ने ऐसी हालात से सामना कर चुकी है, तब आघाडी सरकार के नेता व तत्कालीन मुख्यमंत्री स्वर्गीय विलासराव देशमुख ने नागपुर मनपा की हालात सुधारने के लिए 300 करोड़ के आसपास अनुदान देकर मदद की थी। इस बैठक में उपस्थित विपक्ष के नेता भी स्वर्गीय विलासराव की तरह केंद्र या राज्य से अतिरिक्त अनुदान या जीएसटी में जायज बढ़ोत्तरी करवाते तो उनका अहोदा और भी जनता के बीच बढ़ गया होता। कर्ज की बात कर प्रशासन पर अकारण दबाव बनाने से बैठक में बैठे अमूमन सभी नाखुश दिखे।

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मनपा एक ओर आर्थिक अड़चन में है तो दूसरी ओर नाजायज खर्च को संरक्षण दे रही है। मनपा को आर्थिक अड़चन में डालने वाले की पीठ थपथपाई जा रही और नियमानुसार काम करने वाले वर्तमान प्रभारी वित्त अधिकारी ठाकुर के खिलाफ नारेबाजी करवाई जा रही है, जो निंदनीय है।

मनपा प्रशासन और सत्तापक्ष हमेशा लोकलुभावन बजट पेश कर खर्च करते रहे, कभी भी किए गए खर्चों की ऑडिट करने की कोशिश नहीं की। किया गया होता तो मनपा की स्थिति आर्थिक मामले में आज की तरह नहीं होती।

मनपा ने अप्रैल 2017 से जनवरी 2018 तक मनपा कर्मियों की भविष्य निर्वाह निधि की राशि 36, 32, 11, 712 रुपए आज तक नहीं भरी।

कर्मचारियों की डीसीपीएस अंतर्गत काटी जा रही पिछले 3 वर्ष की राशि 14, 45, 28, 765 बैंक में भरना बाकी है। कामगार नेता राजेश हाथीबेड़ के अनुसार यह राशि मनपा वर्ष 2005 के बाद जिनकी भर्ती हुई, उनकी काटी जरूर जाती है लेकिन जीपीएफ की तर्ज पर मासिक कटौती की रसीद कामगारों को नहीं दी जाती है। इन कर्मचारियों को सेवानिवृति के बाद पेंशन नहीं दिया जाएगा, इसलिए डीसीपीएस अंतर्गत तय राशि मासिक काट कर उसका ब्याज के साथ सेवानिवृत के बाद लौटाई जाएंगी। मनपा ने वर्ष 2015-16 का 22909409,वर्ष 2016-17 का 5, 89, 91,158 रुपए और वर्ष 2017-18 (आगामी दिसंबर तक ) का 6, 26, 28, 198 रुपए भरना बांकी है।

उल्लेखनीय यह हैं कि मनपा प्रशासन पर 31 दिसम्बर 2017 तक 98, 99, 56, 393 रुपए बकाया है। इसमें सड़क निर्माता ठेकेदार, बिजली सम्बंधित काम करने वाले ठेकेदार, बिजली का एस्क्रो खाता में जमा करने के लिए जलापूर्ति ठेकेदार, लोककर्म विभाग संबंधित ठेकेदारों और स्वास्थ्य-शिक्षा-सामान्य प्रशासन-कारखाना विभाग आदि अंतर्गत सप्लायर के बकाया शामिल है।

उक्त आर्थिक अड़चनों से निजात दिलवाने के लिए सफेदपोश हाथ पर हाथ धरे बैठे हैं और तो और 150-200 करोड़ कर्ज लेने के लिए दबाव बना रहे हैं। सफेदपोश के नित से मनपा प्रशासन सचमुच अस्वस्थ्य हो गई है।

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