रमेश शृंगारे के नाम पर मुहर लगाएंगे भाजपा संसदीय मंडल
4 मार्च को आमसभा फिर 5 मार्च को स्थाई समिति अध्यक्ष का शपथ ग्रहण समारोह

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नागपुर। वर्ष 2014-15 के मनपा के वर्त्तमान स्थाई समिति अध्यक्ष बाल्या बोरकर ने अपने कार्यकाल अंतिम समिति बैठक की घोषणा के पश्चात वर्ष 2015-16 के नए स्थाई समिति अध्यक्ष चयन का मार्ग साफ हो गया और इस संबंध में आगे की कार्रवाही शुरू हो गई है. शिवसेना के विरोध के बावजूद सत्तापक्ष ने आगामी 3 मार्च 2015 को नए स्थाई समिति अध्यक्ष के चुनाव की तिथि की घोषणा कर दी है.यह भी तय है कि 3 मार्च को स्थाई समिति अध्यक्ष के चुनाव के पश्चात् 5 मार्च को शपथ ग्रहण भाजपा के दिग्गज नेताओं की उपस्थिति में आयोजित किया गया है.
पिछले वर्ष तय समझौते के हिसाब से इस बार रमेश शृंगारे को समिति अध्यक्ष बनाने का वादा किया गया था,इस हिसाब से यह साफ है कि भाजपा संसदीय मंडल वर्त्तमान स्थाई समिति अध्यक्ष बोरकर को दोबारा मौका देने के बजाय विगत विधानसभा चुनाव में दक्षिण नागपुर से भाजपा टिकट के प्रबल दावेदार रहे रमेश शृंगारे के नाम पर अध्यक्ष पद के लिए सर्वसमत्ति से मुहर लगाएगी. यह भी कड़वा सत्य है कि गनी खान के बाद दूसरा अनोखा समिति अध्यक्ष होगा जो पढ़ने और लिखने में लड़खड़ाता है और ज्यादा सवाल-जवाब पर भड़क जाता है.रमेश वर्त्तमान में मनपा स्वास्थ्य विभाग से सम्बंधित समिति के प्रमुख है, दौरान उन्होंने कोई उल्लेखनीय कार्य नहीं किया. फिर भी भाजपा अपने वादे पर कायम रहते हुए रमेश के नाम पर आम सहमति बनाये हुए है.
अध्यक्ष के चुनाव तिथि का शिवसेना का विरोध
शिवसेना के नवनियुक्त पक्ष नेता किशोर कुमेरिया ने कल महापौर और मनपायुक्त को पत्र लिखकर उन्हें समिति अध्यक्ष का चुनाव पर रोक लगाने की मांग की,तब तक चुनाव नहीं करवाया जाये जब तक मनपा में शिवसेना पक्ष नेता का मामला सुलझ नहीं जाता है.मनपा प्रशासन में निगम सचिव की गलती से मनपा में सेना का बोगस पक्ष नेता बना रहा.इसी बोगस नेता ने नए स्थाई समिति के लिए सेना कोटे से एक सदस्य का नाम सुझाया. जिसका सेना नगरसेवकों ने विरोध किया था लेकिन महापौर ने उनकी एक न सुनी. आज पुनः सेना के नवनियुक्त पक्ष नेता कुमेरिया, चन्द्रहास राऊत, अजय दलाल आदि ने मनपा में सत्तापक्ष नेता दयाशंकर तिवारी से मुलाकात कर उक्त मसाले पर सकारात्मक विचार करने की मांग की. 4 मार्च को मनपा की आमसभा है.
समिति सदस्यों को मिला 12-15 लाख
वर्त्तमान स्थाई समिति के एक सदस्य के अनुसार इस कार्यकाल में कम से कम प्रत्येक 15 सदस्यों को 12 से 15 लाख रूपए मिले.इनमे से कुछ सदस्य को 20 लाख से ऊपर भी मिलने की जानकारी मिली है. अध्यक्ष को वैसे दोगुना मिलता है लेकिन विषय के अनुसार तिगुना-चौगुना भी मिला होगा. इन आर्थिक फायदे से अध्यक्ष ने पार्टी स्तर पर दिए गए आर्थिक जिम्मेदारियों का भी निर्वाह किया. यह बात सार्वजानिक होते ही नए समिति के सदस्यों गर्मागर्म चर्चा का विषय बना हुआ है.
फरकासे का विरोध
वर्त्तमान स्थाई समिति अध्यक्ष और फरकासे की इस कार्यकाल में दोनों के सम्बन्ध ठीक नहीं रहे,इसलिए अध्यक्ष ने दबी जुबान में फरकासे का विरोध दर्शाया.उनके अनुसार फरकासे को भाजपा के बड़े नेता ने स्थाई समिति में वर्षो से तैनात करवाकर कायम रखा है. इसे कोई भी यहाँ से हटा नहीं सकता है.फरकासे से निपटने के लिए 3 मार्च को अध्यक्ष के इशारे पर धमाका हो सकता है.
