Published On : Fri, Nov 14th, 2014

यवतमाल: जिंदगी का सफर कठिण मगर समाधानकारक – मधुकर धस

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खेती और पानी पर चिंतन करना जरूरी

madhukar dhas
यवतमाल। प्रयास सेंवाकुर द्वारा चलाई जा रही श्रृंखला ‘आम्ही बीघडलो, तुम्ही पण बीघडा’ में इस बार घाटंजी निवासी तथा दिलासा संस्था के संस्थापक मधुकर धस को बुलाया गया था. उनका परिचय यवतमालवासियों को देते ही तालियां बजती रही. अलग-अलग क्षेत्रों में विपरीत हालात में अपने कर्तव्य के बल पर उड़ान भरनेवाले व्यक्तियों की पहचान इस कार्यक्रम के माध्यम से डॉ . अविनाश सावजी (अमरावती) कर के देते है. अपनी कहानी बताते हुए मधुकर रो पड़े उससमय हाल में उपस्थित सभी के आंखों से आसूं बह रहे थे.

एक समय गांव में भिख मांगकर खाने की नौबत आयी थी, मगर आज उनके पास सैकड़ों कर्मचारी कार्यरतहै. उन्होंने जालना जिले में जल किल्लत समस्या दूर की. उसका लाभ अब उनके कई प्रोजेक्ट से यवतमालवासियों को भी मिल रहा है. हजारों किसान लाभान्वितहो रहें है. दिलासा यह संस्था पानी और मृदसंधारण एवं फडसिंचन के काम करनेमें माहीर है. उसकी भी जानकारी इस समय उपस्थितों को दी गई.

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शुरुवात में मान्यवरों के हाथों दिपप्रज्वलित किया गया. इस समय दिलासा के इंजिनिअर मन्सूर ने अनोखे अंदाज में जानकारी दी. जिसमें जालना के घानेवाड़ी परियोजना में से किचड़ निकालने का महत्वपूर्ण काम यवतमाल के इस जाबाज ने किया है. यह भी बताया गया. वहीं कारण है कि, पेयजल किल्लत की मार सहनेवाला जालना अब एक-दो वर्षों में बारीश नहीं हुई तो भी उसमें पर्याप्त मात्रा में पानी उपलब्ध रहता है. इस समय समाज के प्रगति के लिए विविध बातों पर ध्यान देकर लोग कल्याण एवं जनजागृति करने के बारे में प्रशिक्षण  का कार्य यह संस्था करनेवाली है. जिसमें युवा सामने आए, ऐसा आवाह्न भी किया गया है.

इसी कार्यक्रम में बताया गया कि, निलोणा परियोजना का बांध किचड़ के कारण पूरा भर चुका है. उसमें का किचड़ निकालने का काम भी धूपकाले में शुरू किया जाएंगा. हाल ही में विधि महाविद्यालय के सामने आपदा के कारण टूट चुका बांध श्रमदान से बनाया गया है. उसकी भी जानकारी दी गई. जिसमें महत्वपूर्ण काम करनेवाले अमोल साकरकर, अंकुश गुज्जलवार, मंगेश बोपचे का सत्कार किया गया.  इस समय डॉ. बाबा आमटे के जिवनी पर आधारित फिल्म देखने का अनुुरोध भी किया गया. प्लास्टिक निर्मूलन आंदोलन में शामिल होते समय, खुद से ही इसकी शुरुवात करने का आवाह्न किया गया. घर से बाहर निकलते समय कपड़े की थैली साथ में लेकर निकलेे, ऐसा आवाह्न संचालन करते हुए मंगेश खूने ने किया.

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