– हाईकोर्ट ने आदेश पर लगाई रोक, सरकार को भेजा नोटिस
नागपुर – वर्धा जिले के समुद्रपुर तहसील स्थित दहेगांव ग्राम पंचायत चुनाव में जीतने के बाद सदस्य वनिता लांडगे को चुनाव खर्च का विवरण समय पर न देने के कारण जिलाधिकारी द्वारा अयोग्य घोषित कर दिया गया। इस आदेश को वनिता लांडगे ने हाईकोर्ट में चुनौती दी, जिस पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने आदेश पर रोक लगा दी है और संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी किया है।
वनिता लांडगे की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने ग्रामीण विकास विभाग के सचिव, राज्य चुनाव आयोग के सचिव, वर्धा जिलाधिकारी, चुनाव अधिकारी और तहसीलदार को नोटिस जारी कर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है।
जिलाधिकारी ने बिना ठोस कारण बताए की कार्रवाई
याचिकाकर्ता की ओर से पैरवी कर रहे अधिवक्ता ने दलील दी कि लांडगे अस्वस्थ थीं, जिसके कारण चुनाव खर्च का विवरण समयावधि में जमा नहीं हो सका। इस संबंध में डॉक्टर का प्रमाणपत्र और स्पष्टीकरण जिलाधिकारी को प्रस्तुत किया गया था, फिर भी बिना कोई कारण बताए जिलाधिकारी ने इसे खारिज कर दिया और उन्हें अयोग्य घोषित कर दिया।
कोर्ट की टिप्पणी – दस्तावेजी साक्ष्यों की अनदेखी अनुचित
कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि महाराष्ट्र ग्राम पंचायत अधिनियम, 1959 की धारा 14बी (1) के तहत यदि कोई उम्मीदवार बिना उचित कारण के चुनाव खर्च का विवरण समय पर जमा नहीं करता है, तो राज्य चुनाव आयोग उसे अयोग्य घोषित कर सकता है। लेकिन इस मामले में जिलाधिकारी द्वारा याचिकाकर्ता के प्रस्तुत दस्तावेज और कारणों को नज़रअंदाज़ किया गया।
कोर्ट का निष्कर्ष – एक दिन की देरी को अयोग्यता का आधार नहीं
कोर्ट ने स्पष्ट किया कि देरी केवल एक दिन की थी और इसका कारण भी मेडिकल प्रमाणपत्र सहित स्पष्ट किया गया था। इसके बावजूद जिलाधिकारी ने बिना कारण बताए इसे “प्रासंगिक नहीं” मान लिया। कोर्ट ने कहा कि जिलाधिकारी को यह बताना चाहिए था कि देरी का कारण प्रासंगिक क्यों नहीं है और इसके पीछे की ठोस वजह क्या है।
हाईकोर्ट की हिदायत – सतर्कता से लें अयोग्यता का निर्णय
कोर्ट ने अधिकारियों को निर्देश दिया कि किसी निर्वाचित प्रतिनिधि को अयोग्य ठहराने जैसे मामलों में अधिक सावधानी और विवेक से काम लें, ताकि लोकतांत्रिक प्रक्रिया और जनप्रतिनिधित्व की गरिमा बनी रहे।