नागपुर : देश में दलित शब्द के इस्तेमाल को लेकर छिड़ी बहस के बीच बहुजन नेता डॉ प्रकाश आंबेडकर ने भी इसके इस्तेमाल से किसी भी तरह की परेशानी होने की बात से इनकार किया है। शनिवार को नागपुर दौरे के दौरान पत्रकारों से बात करते हुए कहाँ की इसका जिसे इस्तेमाल करना हो करे जिसे न करना हो न करे।
इस शब्द के इस्तेमाल को लेकर इतिहास पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहाँ कि दलित शब्द को लेकर इससे पहले भी साल 1980 में विवाद खड़ा हुआ था। जिसके बाद यह तय हुआ था की जिसको इसका इस्तेमाल करना हो वो करे और जिसको न करना हो न करे। यह फ़ैसला अब तक मान्य है। एक शब्द पर विवाद हो चुका है उस पर दुबारा विवाद खड़ा होना ठीक नहीं है यही मेरी भूमिका है।
इस शब्द के इस्तेमाल को लेकर अदालत का भी यही रुख है। दलित शब्द का प्रयोग न ही किया जाये ऐसा कोई बंधन नहीं है। कई जगहों पर दलित शब्द का उद्बोधन आवश्यक हो जाता है। आंबेडकर की ही तरह अन्य दलित नेता केंद्रीय राज्य मंत्री रामदास आठवले ने भी दलित शब्द के इस्तेमाल का पुरजोर समर्थन करते हुए कहाँ था की दलित शब्द अपमान जनक नहीं बल्कि ऊर्जा बढ़ाने वाला है।
सरकार के साथ ही मिडिया में इस्तेमाल होने वाले दलित शब्द पर रोक लगाए जाने की माँग करती हुई याचिका पंकज मेश्राम ने मुंबई उच्च न्यायालय की नागपुर खंडपीठ में डाली थी। इस याचिका में याचिकाकर्ता ने कहाँ था की इस शब्द के इस्तेमाल को लेकर खुद डॉ बाबासाहब आंबेडकर को आपत्ति थी। याचिका पर फैसला सुनाते हुए अदालत ने इस शब्द के इस्तेमाल पर रोक लगाई है।