Published On : Fri, Jul 9th, 2021

खापरखेडा विधुत केन्द्र की निविदा प्रक्रिया ठन्डे बस्ते में

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– महानिर्मिती प्रशासन के सामने धर्मसंकट

नागपुर– खापरखेडा विधुत केन्द्र के एश हैन्डलिंग प्लांट के कामों का ठेका सभी प्रतिस्पर्धी फर्मों द्वारा आपत्ति के चलते निविदा खुलने की प्रक्रिया ठन्डे वस्ते फाइलों में कैद कर दी गई है।

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उल्लेखनीय है कि करीबन 6 फर्मों ने निविदा जमा किया था।सभी प्रतिस्पर्धी फर्म नियोक्ता चाहते हैं कि यह ठेका उसे ही हासिल होगा।परंतु उनकी यह सोच को गलत और समझ से परे है। तदहेतु सभी फर्म नियोक्ताओं ने निविदा प्रपत्र नही खोलने के लिए लिखित आपत्ति आवेदन प्रस्तुत किया है। नतीजतन महानिर्मिती प्रशासन के सामने धर्मसंकट उत्पन्न हो गया है।

सभी प्रतिभागी पक्ष अपनी रट लगाये हुए है, और सभी को लगता है कि हर हाल में यह ठेका उसके ही पाले में जाएगी।नतीजा टेंडर कमेटी को अपनी तरफ आकर्षित करने के लिए एडीचोटी का जोर लगाया जा रहा है। तकनीकी अभियंताओं की माने तो निविदा ठेका उनके हाथ से निकलने वाला है तथा उन्हें नही मिलने की भनक से आपत्ति पर आपत्ति प्रतुस्त किये जा रहे है।

इस सबंध में टेंडर कमेटी के मुख्य अधिकारी की माने तो सभी ठेका फर्मों द्वारा प्रस्तुत निविदा प्रपत्र के दस्तावेजों की जांच-पड़ताल व निरीक्षण किया गया है।नतीजतन सभी फर्म निविदा नियमों और शर्तों के विरुद्ध दस्तावेज पाये जा रहे है।परिणामतः सभी ठेका टेंडर प्रतिस्पर्धियों में आपसी झगडे व तालमेल का अभाव है।अंततः बारंबार आपत्ति आवेदन की वजह से उन्हें यह निविदा प्रपत्र को खारिज करना पड़ सकता है ?

बताते हैं कि सिर्फ यह एक टेंडर ही नही ऐसे आपत्ति आवेदन के चलते अनेक कामों की निविदाएं उन्हें निरस्त करना पड़ रहा है। उन्होंने यह भी बताया कि प्रत्येक ठेका कार्यों की निविदा प्रपत्र खुलने की प्रक्रिया पूरी तरह निष्पक्ष और पारदर्शी होती है। निविदा कमेटी की माने तो अन्यायग्रस्त फर्म नियोक्ता महानिर्मिती के खिलाफ न्यायालय की शरण ले सकता है। इससे महानिर्मिती प्रशासन का समय के साथ आर्थिक नुकसान उठाना पड़ता है।

ऊर्जा मंत्रालय द्वारा अधिकृत किये गए दलाल संजय हरद्वानी अपने करीबी विवादास्पद BP समूह दिलवाने के लिए मुख्य अभियंता स्तर के अधिकारियों पर निरंतर दबाव बनाए हुए हैं।

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