Published On : Sat, Jun 24th, 2017

सरकारी नौकरी की परीक्षा के 10 वर्षों की निधि का नहीं रखा कोई ब्योरा

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नागपुर:
 नागपुर शहर के सदर स्थित अंजुमन हामे ई इस्लाम स्कूल व जूनियर कॉलेज के प्राचार्य पर शासकीय निधि के दुरूपयोग को लेकर शिकायत की गई है. जिसके आधार पर शिक्षा विभाग उपसंचालक विभाग के लेखाधिकारी ने शुक्रवार को कॉलेज पहुंचकर रजिस्टर और सम्पूर्ण दस्तावेजों की जांच की. जिसमें यह पाया गया है कि कॉलेज के प्राचार्य की ओर से स्कूल से संबंधित निधि का तो ब्यौरा है, लेकिन प्रशासन ने अंजुमन कॉलेज को सरकारी परीक्षाओं के लिए नियुक्त करने और परीक्षा का आयोजन करने के लिए जो निधि कॉलेज को दी थी, उसका लेखाजोखा कॉलेज प्रशासन के पास नहीं है. जिससे यह माना जा रहा है कि इसमें कई वर्षों का करोड़ों रुपए का भ्रष्टाचार हुआ है.

दरअसल आरटीई एक्शन कमिटी के चेयरमैन मोहम्मद शाहिद शरीफ ने इस पूरे मामले की शिकायत शिक्षा उपसंचालक से की थी. जिसके आधार पर लेखाधिकारी प्रकाश काले ने कॉलेज में जाकर प्राचार्य शकील अहमद से पूछताछ की और कॉलेज द्वारा अब तक ली गई सरकारी नौकरियों की परीक्षाओं का ब्यौरा मांगा. लेकिन विभाग के पास लगभग 10 वर्ष तक ली गई परीक्षाओं का कोई भी रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं मिला। साथ ही किसी रजिस्टर में निधि के बारे में कोई जानकारी भी नहीं मिली. ऐसे में सवाल यह उठता है कि आखिर अंजुमन स्कूल व जूनियर कॉलेज के प्राचार्य ने सरकारी नौकरियों की परीक्षाओं के आयोजन के िलए मिलनेवाली निधि का ब्योरा आखिर क्यों नहीं सहेज कर रखा.

वर्ष 2013-14 में इस कॉलेज में कुल 14 सरकारी परीक्षाएं ली गयी थी. जिसमें एमपीएससी, यूपीएससी, स्टाफ सिलेक्शन, पावर ग्रिड कोर्पोरशन, स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, बीएचइएल, फॉरेस्ट डिपार्टमेंट, रेलवे सिलेक्शन बोर्ड, पुलिस डिपार्टमेंट, यूजीसी, सिंडिकेट बैंक, पोस्टल डिपार्टमेंट, मॉइल, एमएसईबी की परीक्षाओं का समावेश है. जिसके लिए परीक्षा से संबंधित सभी विभाग की परीक्षा के लिए निधि कॉलेज को दी गई थी. सबकी दरें अलग अलग होती हैं. रेलवे की ओर से प्रति कैंडिडेट लगभग 5 रुपए दिए जाते हैं, तो वहीं एमपीएससी के लिए लगभग 10 रुपए तक दिए जाते हैं. लेकिन पिछले दस वर्षो में जितनी भी परीक्षाएं इस कॉलेज में ली गईं हैं उसका कोई लेखा जोखा कॉलेज प्रशासन के पास नहीं है.

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कॉलेज में जांच करने गए शिक्षा विभाग के लेखाधिकारी प्रकाश काले ने बताया कि कॉलेज को लेकर की गई शिकायत के आधार पर जांच की गई है. जिसमें यह पाया गया कि सरकारी नौकरियों से सम्बंधित परीक्षाओं की जानकारी कॉलेज के पास नहीं है. यह मैनेजमेंट का मामला है. कौन से परीक्षा के लिए कितनी निधि ली गई इसकी भी जानकारी नहीं मिल पायी है. इसकी रिपोर्ट तैयार कर सोमवार को शिक्षा उपसंचालक को दी जाएगी और निर्णय लेंगे.

उर्दू हेडमास्टर एसोसिएशन के चेयरमैन और किदवई स्कूल के मुख्याध्यापक जफर अहमद खान ने अपनी स्कूल में ली गई सरकारी नौकरी की परीक्षाओं के संदर्भ में जानकारी देते हुए बताया कि स्कूल कॉलेज में होनेवाली परीक्षाओं के लिए सरकारी विभागों द्वारा अलग अलग दरों से पैसे दिए जाते हैं. रेलवे की परीक्षा के लिए 5 रुपए दिए जाते हैं तो वहीं शिक्षकों और पर्यवेक्षकों को भी अलग से पैसे दिए जाते हैं. उन्होंने बताया कि परीक्षा और निधि के विषय में रजिस्टर मेन्टेन किया जाना चाहिए जो की उनके कॉलेज प्रशासन के पास है.

कॉलेज के प्राचार्य के खिलाफ शिकायत करनेवाले आरटीई एक्शन कमिटी के चेयरमैन मो.शाहिद शरीफ ने बताया कि परीक्षा का पैसा कॉलेज के विकास कामों में नहीं लगाया गया. उन्होंने बताया इस मामले में पूरी तरह से भ्रस्टाचार हुआ है. उन्होंने कहा कि अगर शिक्षा विभाग इस सन्दर्भ में कार्रवाई नहीं करेगा तो वे प्राचार्य शकील अहमद के खिलाफ पुलिस में रिपोर्ट दर्ज कराएंगे. कॉलेज के प्राचार्य शकील अहमद से जब संपर्क करने की कोशिश की गई तो उन्होंने कोई प्रतिसाद नहीं दिया.

—शमानंद तायडे

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