- अनेक वर्षों से कम वेतन से जूझ रहे हैं बिना अनुदानित संस्थाएँ
- निजी स्थायी अनुदानित संस्थाओं की स्थिति काफी खराब
- विधानमंडल ध्यानाकर्षण
सवांदाता /यशवंत मानकर
आमगांव (गोंदिया)। राज्य में उच्च व तकनीकि शिक्षा विभाग अंतर्गत सरकार मान्यता प्राप्त स्थायी बिना अनुदानित महाविद्यालय अनेक वर्षों से अनुदान के लिए कोई सफल प्रयास नहीं करने से महाविद्यालय में कार्यरत शिक्षक व शिक्षकेत्तर कर्मचारियों पर जीवन-मरण का सवाल खड़ा हो गया है.
राज्य में भारतीय तकनीकि शिक्षा परिषद के नियंत्रण में कुशल मानव बल निर्माण का ध्येय लिए तकनीकि शिक्षा द्वारा पूर्ण किया जा रहा है. महाराष्ट्र तकनीकि शिक्षा से सरकार उपाधि, डिग्री व पदव्यूत्तर के अभ्यासक्रम की शुरूआत की है. इसके लिए सरकार ने सरकारी व निजी संस्थानों की शिक्षा के लिए आवश्यक सुविधा उपलब्ध करायी है. राज्य में 2,145 विद्यालयों से कुशलतापूर्वक तकनीकि ज्ञान से विशेषज्ञ निर्माण कार्य महाविद्यालयों के मार्फत किया जा रहा है. इन महाविद्यालयों में तकनीकि शिक्षा विभाग के निर्धारित मापदंडानुसार निजी व सरकारी महाविद्यालयों में सभी पदों में भर्ती की गयी. ये सरकारी महाविद्यालय अनुदानित होने से इसमें कर्मचारी स्वयं को सुरक्षित महसूस करते हैं, परंतु निजी स्थायी अनुदानित संस्थाओं की स्थिति काफी खराब है.
इन संस्थाओं में कर्मचारियों की दृष्टि से सरकार व तकनीकि शिक्षा विभाग कभी भी पहल कर उनके हितों के लिए ध्यान नहीं दिया. इसलिए स्थायी बिना अनुदानित शिक्षा संस्थानों में कर्मचारियों का भविष्य चमक नहीं पाया है. संस्था चालकों से मिलने वाले मानधन पर उनका उदर निर्वाह हो रहा है. इन संस्थाओं में कर्मचारियों का वेतन रोजंदारी मजदूरों से भी कम है और दिनोदिन शैक्षणिक कार्य पूर्ण करने के बावजूद कर्मचारियों को मिलने वाले वेतन पर गुजारा करना पड़ रहा है. स्थायी बिना अनुदानित तकनीकि शिक्षा महाविद्यालयों में कर्मचारियों को सरकार अनुदान मंजूर करेगी, इसी आशा में कर्मचारियों ने अपना जीवन गुजार रहे हैं, परंतु अब उनका परिवार सड़क पर आ गया है. कर्मचारी निष्ठापूर्वक कार्यकुशलता से अपना कत्र्तव्य निभाकर सरकार की नीति को सार्थक कर रहे हैं. अब ये कर्मचारी सरकार से अनुदान की माँग पूर्ण होगा, इसकी राह तक रहे हैं.
कर्मचारियों को अनुदान की प्रतीक्षा
उच्च व तकनीकि शिक्षा विभाग अंतर्गत आनेवाले निजी विद्यालयों में राज्य सरकार ने प्राथमिक, माध्यमिक, उच्च माध्यमिक व उच्च शिक्षा संस्थानों के मुताबिक अनुदान मंजूर करे. इस माँग के लिए कर्मचारियों की लड़ाई जारी है. सरकार इन कर्मचारियों को आश्वासन के अलावा कुछ नहीं दिया जा रहा है. इसलिए इन कर्मचारियों पर आश्रित रहने वाली 90 हजार परिवार की विडंबना सामने आयी है. सरकार योग्य निर्णय लेकर इन संस्थाओं को अनुदान मंजूर करेगी, ऐसी आशा विधानमंडल के शीत सत्र में की जा रही है.
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