नागपुर: वैश्विक स्वास्थ संस्था ने 2030 तक भारत को टीबी मुक्त करने का लक्ष्य रखा है. लेकिन प्रधानमंत्री ने 2025 तक भारत को टीबिमुक्त करने का ध्येय केंद्रीय स्वास्थ मंत्रालय को साधने के लिए कहा है। इस दृष्टि से टीबी रोग नियंत्रण व उपचार के लिए केंद्रीय स्वास्थ व परिवार कल्याण मंत्रालय कटिबद्ध है. यह जानकारी केंद्रीय स्वास्थ व परिवार कल्याण राज्यमंत्री फग्गनसिंह कुलस्ते ने दी. वे नागपुर दौरे पर हैं। होटल रेडिसन ब्लू में 28 और 29 जुलाई के दौरान आयोजित दो दिवसीय ‘क्षयरोग का प्रभाव और उसकी भागीदारी, निर्मूलन के लिए राज्य व केंद्र स्तरीय राष्ट्रीय परिषद (सेंटर स्टेट समिट फ़ॉर टी.बी. इलिमिनेशन थ्रू इफेक्टिव पार्टनरशीप ) के उद्घाटन समारोह को वे संबोधित कर रहे थे. इस परिषद का आयोजन केंद्रीय स्वास्थ मंत्रालय के स्वास्थ महासंचालनालय के केंद्रीय टीबी विभाग व महाराष्ट्र सरकार व विश्व स्वास्थ संगठन भारत के कार्यालय द्वारा किया गया.
इस दौरान कुलस्ते ने बताया कि दुनिया के टीबी के 27 प्रतिशत मरीज भारत में है. हर साल करीब 28 लाख लोग टीबी से ग्रस्त होते हैं. इसी तरह हर साल 4 लाख 80 हजार मरीजों की इस बिमारी के चलते मौत होती है. इस पर उपाय योजना के लिए भारत सरकार ने राष्ट्रीय क्षयरोग नियंत्रण कार्यक्रम के अंतर्गत नई रणनीति बनाई है. इस रणनीति के तहत टीबी रोग से मौत के आकड़ों पर काबू करना, औषधि प्रति रोधकता (ड्रग- रेझिस्टंन्ट) क्षयरोग प्रकरण प्रभावीरूप से नियंत्रण करना व एचआईवी बाधित क्षयरोग मरीजों की जांच करना, इन तीनों बातों पर विचार किया गया है. उन्होंने बताया कि अब तक 14 लाख मरीजों की जांच की गई है व करीब 3 मरीजों की जान बचाई गई है साथ ही 18 लाख टीबी के मरीजों का पंजीयन भी किया गया है.
इस दौरान महाराष्ट्र शासन के सार्वजानिक स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव डॉ.प्रदीप व्यास ने बताया कि महाराष्ट्र में 1.7 लाख मरीज पिछले वर्ष तक होने की जानकारी है. कल तक करीब 600 नए टीबी के मरीजों का पंजियन किया गया है. जिसमें से 40 मरीज नागपुर के हैं. इस दौरान राज्यसभा सांसद डॉ. विकास महात्मे, गडचिरोली के सांसद अशोक नेते, भडांरा के सांसद नाना पटोले, रामटेक के सांसद कृपाल तुमाने, उत्तर नागपूर के विधायक डॉ. मिलिंद माने प्रमुखता से मौजूद थे.