Published On : Wed, Jul 8th, 2020

सारे प्रकरण वापिस लो फिर 48 घंटे में तबादला

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– मुंढे बनाम जनप्रतिनिधियों में संघर्ष पर नया हथकंडा ?

नागपुर – मनपा प्रशासन में पिछले कुछ दिनों से एक नया गर्मागर्म चर्चा हिचकोले खा रही। वह यह कि राज्य सरकार से मनपा के जनप्रतिनिधियों के नेतृत्वकर्ताओं को यह सुझाव दिया गया कि मनापायुक्त के खिलाफ सभी प्रकरण वापिस ले लो,इसके बदले में हम अगले 48 घंटे में उनका तबादला कर देंगे। दूसरी ओर नेतृत्वकर्ताओं ने उलट संदेशा भिजवाया कि पहले वे तबादला करें फिर सभी मामले वापिस ले लिया जाएगा।

पिछले 2 दिनों से मनपा में कर्मचारी-अधिकारियों के मध्य चर्चा हैं कि जनवरी 28 के बाद मनापायुक्त तुकाराम मुंढे का मनपा की जिम्मेदारी लेने के दूसरे दिन से ही सत्ता संघर्ष शुरू हो गया था। महापौर का जोन निहाय जनता दरबार शुरू ही थी कि मनापायुक्त ने रोजाना 4 से 5 बजे के दरम्यान अपने कक्ष में जनता दरबार शुरू कर दी। इसके बाद मनापायुक्त का एकतरफा जनप्रतिनिधि विरोधी मुहिम शुरू हुई। इसी दरम्यान कोरोना ने नागपुर में पैर फैलाना शुरू किया।मनपा आयुक्त ने आयुक्त का बजट में स्थायी समिति के बजट का पोस्टमार्टम कर दिया,इसके साथ ही इस वर्ष के कार्यादेश व टेंडर हुए कामों को रोक दिया,यह कहकर कि मनपा की आर्थिक स्थिति दयनीय हैं, नया काम शुरू करने के पूर्व पुरानी देनदारी चुकाना बांकी हैं।

मनापायुक्त को राज्य सरकार ने नोडल ऑफिसर बनाये जाने से किसी ने आयुक्त को बाधा नहीं पहुंचाई लेकिन उन्होंने महत्वपूर्ण निर्णय लेने के पूर्व नगरसेवकों को विश्वास में नहीं लिया। गत माह आमसभा में आयुक्त पर लगे लांक्षण को वे बर्दास्त नहीं कर सके और वे बिना अनुमति के सभा त्याग दिए। इसके बाद अगले 4 दिन नगरसेवकों के आक्रोश का सामना आयुक्त को करना पड़ा। इसी बीच आयुक्त के खिलाफ सदर थाने में 2 और राज्य महिला आयोग में 1 मामला दर्ज होने से न सिर्फ आयुक्त बल्कि उनके वर्तमान राजनीतिक आका सकते में आ गए।

उक्त ज्वलंत समस्या से मुंढे को बचाने के लिए उनके राजनैतिक आका ने मनपा के जनप्रतिनिधियों के नेतृत्वकर्ताओं को मौखिक संदेशा भिजवा कि वे मुंढे के खिलाफ सभी मामले वापिस ले लेंगे तो सरकार मुंढे का तबादला अगले 48 घंटे में कर देंगे। लेकिन मनपा में मुंढे विरोधियों ने नहीं माना, उनका कहना था कि पहले तबादला फिर मामला वापिस लेंगे।