Published On : Tue, Feb 27th, 2018

रिश्तों में मिठास बनाए रखती है होली में शक्कर की गाठी

Advertisement

Sugar Gathiyan Holi
नागपुर: होली आपसी बुराइयों को भुलाकर फिर से रिश्तों को मजबूती प्रदान करने का पर्व ऐसे ही नहीं कहा जाता, बल्कि इसके प्रमाण भी मिलते हैं. जो सदियों से चली आ रही परंपराओं के रूप में हमारे बीच मौजूद है. रिश्तों की मिठास को बनाए रखने और राग-द्वेष, बैर की होली जलाकर उन्हें प्रेम की मीठी माला में पिरोकर गले लगाना ही होली का मुख्य उद्देश्य है, जिसका जीवंत प्रतीक है गाठी (शक्कर की माला), जो केवल होली के अवसर पर ही दिखाई देती है. होलिका दहन गुरुवार को और रंग शुक्रवार को मनाया जाएगा। लिहाजा रंग और पिचकारी की खरीदी के लिए इन दिनों इतवारी समेत अन्य बाजारों में खूब चहलकदमी और खरिदारी का दौर शुरू है.

आधुनिकता का रंग :- बाजार में कई प्रकार की गाठियां देखी जा सकती हैं. गाठियों को देखकर ऐसा लगता है कि इन पर भी अब आधुनिकता का रंग चढ़ गया है. बाजार में अलग-अलग रंगों के साथ फूल, काजू-बादाम और सूखे मेवे से सजी गाठियां ग्राहकों को लुभा रही हैं. गाठियां 2 प्रकार में उपलब्ध हैं. इनमें सादी व बताशा शामिल है. इस बार शक्कर पिछले वर्ष के मुकाबले 6 रुपए प्रतिकिलो सस्ती होने के चलते गाठी के भाव भी थोड़े उतरे हुए हैं. अभी थोक में गाठी के 56 और चिल्लर में 75 रुपए प्रतिकिलो भाव चल रहे हैं. वहीं पिछले वर्ष थोक में 62 रुपए प्रतिकिलो और चिल्लर में 80 रुपए प्रतिकिलो भाव थे.

कोल्हापुर- सोलापुर की कारीगरी :- हर वर्ष गाठियों को बनाने के लिए खास कानपुर, लखनऊ और इलाहाबाद से कारीगर आते हैं. यह होली से 20 से 25 दिन पूर्व आकर ठेके में काम कर वापस चले जाते हैं. वहीं गाठी बनाने के लिए शक्कर कोल्हापुर और सोलापुर साइड से आती है. शांतिनगर, कावरापेठ, मस्कासाथ, लालगंज सहित शहर में गाठियां बनाने के 20 से 25 कारखाने हैं. गोंदिया, भंडारा के साथ शहर के आसपास गाठियां बनने से अब नागपुर का मार्केट पहले की तुलना में काफी घट गया है.

Gold Rate
15 july 2025
Gold 24 KT 98,200 /-
Gold 22 KT 91,300 /-
Silver/Kg 1,12,500/-
Platinum 44,000/-
Recommended rate for Nagpur sarafa Making charges minimum 13% and above

मजा तो ग्रामीण में :- शक्कर की माला पहनाने की परंपरा समय के साथ धूमिल होती जा रही है, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में अब भी इसका चलन बरकरार है. बाजार में सबसे ज्यादा ग्रामीणों द्वारा ही शक्कर की माला खरीदी जाती है. आज ऐसा हो गया है कि केवल पूजा में महत्व की खातिर लोग गाठी खरीदते हैं. लेकिन देखा जाए तो अब महंगाई के कारण गाठी का पौराणिक और वैद्यकीय महत्व भी नजरअंदाज किया जा रहा है. पहले की तुलना में गाठी की 40 प्रश ग्राहकी कम हो गई है.

Advertisement
Advertisement