नागपुर: स्कूलों में फिजिकल ट्रेनिंग की कक्षाओं को कम करने का फैसला राज्य सरकार ने लिया है। इस फैसले का राज्यभर में स्पोर्ट्स टीचर्स विरोध कर रहे है। इन शिक्षकों का कहना है की सरकार का यह तरीका स्पोर्ट्स को स्कूली शिक्षा से हटाने की साजिश है। इस कदम से पहले स्पोर्ट्स की क्लास बंद होगी और धीरे धीरे स्पोर्ट्स शिक्षकों को शिक्षा की प्रणाली दे बहार का रास्ता दिखा दिया जायेगा। राज्य की माध्यमिक व उच्च माध्यमिक शारीरिक शिक्षा शिक्षक महामंडल की जिला कार्यकारणी ने इस फैसले पर अपना तीव्र विरोध दर्ज कराया है। नाराज शारीरिक शिक्षक सरकार के निर्णय के ख़िलाफ़ जल्द ही शुरू होने वाले स्कूली खेल स्पर्धा का बहिस्कार करने का फ़ैसला लिया है।इस शिक्षकों की इस भूमिका का सीबीएससी स्कूलों के शिक्षकों ने भी समर्थन किया है।
इन शिक्षकों के विरोध की वजह से स्पोर्ट्स स्पर्धा के नहीं होने की संभावना व्यक्त की जा रही है। अपनी इस भूमिका पर अड़िग खेल शिक्षकों ने स्पर्धा में विद्यार्थियों को भाग लेने से नहीं रोकने की जानकारी भी दी है। नागपुर में संगठन के अध्यक्ष डॉ. पद्माकर चारमोडे ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में सरकार के ख़िलाफ़ अपनी नाराजगी जाहिर की।
पद्माकर के अनुसार अब तक खेल शिक्षकों को हर दिन चार घंटे दिए जाते थे लेकिन 28 अप्रैल को इस संदर्भ में एक आदेश निकला गया जिसमे विद्यार्थियों की शारीरिक गुणवत्ता को बढ़ाने वाली कक्षा का समय 2 घंटे कर दिया गया है। इतना ही नहीं खेल कूद की शिक्षा देने वाले शिक्षक को अब अन्य विषय पढ़ाने का आदेश जारी किया गया है। जो गलत है इस विषय को लेकर शिक्षा मंत्री विनोद तावड़े से कई मर्तबा चर्चा किये जाने की जानकारी भी संगठन के पदाधिकारियों ने दी लेकिन इसका कोई हल नहीं निकला। स्पोर्ट्स शिक्षकों के अनुसार यह फैसला गलत है इसका विद्यार्थियों पर गलत असर होगा। बेहतर शिक्षा हासिल करने के लिए विद्यार्थी की शारीरिक क्षमता बेहतर होने की आवश्यकता है इसलिए सरकार को अपना फैसला बदलना ही पड़ेगा।