Published On : Mon, Aug 15th, 2022
By Nagpur Today Nagpur News

समाज उपयोगी है डॉ.शर्मा के व्यंग्य – डॉ.ओमप्रकाश मिश्रा का प्रतिपादन

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नागपुर: राप्र संवादक अर्चना साहित्यिक-सांस्कृतिक संस्था एवं लोहिया अध्ययन केंद्र के संयुक्त तत्वावधान में “डॉ. शशिकांत शर्मा का व्यंग्य साहित्य-समीक्षात्मक परिचर्चा” कार्यक्रम आयोजित किया गया, जिसकी अध्यक्षता हिस्लाप कॉलेज के पूर्व हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ.ओम प्रकाश मिश्रा ने की जबकि प्रमुख अतिथि के रूप में वरिष्ठ पत्रकार एस.एन.विनोद एवं विशिष्ट अतिथि के रूप में सुविख्यात आयुर्वेदाचार्य व साहित्यकार डॉ. गोविंदप्रसाद उपाध्याय’ समीक्षक के रूप में वी एम वी कालेज की हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ.आभा सिंह, साहित्यकार श्रीमती इंदिरा किसलय व व्यंग्यकार टीकाराम साहू ‘आजाद’ मंचासीन थे। अतिथियों द्वारा मां शारदा एवं लोहिया जी के चित्र को माल्यार्पण कर कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ।संस्था द्वारा मंचासीन अतिथियों का शाल,श्रीफल एवं पुष्पगुच्छ देकर सत्कार किया गया।

संस्था सचिव श्रीमती शशि भार्गव ने अपने प्रास्ताविक में कार्यक्रम की रूपरेखा,संस्था की गतिविधियों,उद्देश्यों एवं भावी योजनाओं पर प्रकाश डाला। डॉ. शशिकांत शर्मा ने अपने बीज वक्तव्य में अपनी रचनाओं की प्रक्रिया,उद्देश्य एवं निहित संदेश का उल्लेख किया। डॉ. आभा सिंह ने डॉ.शर्मा की कृति ‘मुर्गी की डेढ़ टाँग’ की समीक्षा करते हुए कहा कि इसमें व्यंग्य एवं ललित निबंध दोनों का ही समावेश है जो बहुत ही उच्च कोटि के हैं। श्रीमती इंदिरा किसलय ने ‘बूढ़ा बैल’ में निहित व्यंग्यों का जिक्र करते हुए उनकी सामाजिक उपयोगिता सिद्ध की। श्री टीकाराम साहू ‘आजाद’ ने कहा कि ‘पंडित जी मेरे मरने के बाद’ में समाज में व्याप्त कुरीतियों का बेबाक वर्णन किया गया है जो समाज की प्रगति में बाधक हैं। लेखक ने अपने व्यंग्य लेखों के माध्यम से उन्हें दूर करने का उपाय भी सुझाया है। डॉ. गोविंदप्रसाद उपाध्याय ने शर्मा की प्रमुख कृति ‘मखमली जूते’की चर्चा करते हुए कहा कि समाज में व्याप्त बुराइयों को दूर करने वाले अचूक अस्त्रों का इस पुस्तक में भरपूर प्रयोग किया गया है। इन बुराइयों को दूर करने के लिए आज इनका उपयोग आवश्यक है। एसएन विनोद ने साहित्यकारों से आह्वान किया कि उन्हें लोकतंत्र जिंदा रखने के लिए अधिक से अधिक रचनाओं का सृजन करना चाहिए तथा समाज का समुचित दिशा निर्देशन करना चाहिए। अपने अध्यक्षीय वक्तव्य में डॉ.ओमप्रकाश मिश्रा ने डॉ. शर्मा के सभी व्यंग्यों को समाज के लिए अमूल्य धरोहर बताया।

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उन्होंने ‘न बाँस न बांसुरी’ कृति में निहित सभी रचनाओं को समाजोपयोगी एवं प्रबोधन देने वाली रचनाएँ बताया। इन रचनाओं में व्यंग्यों का तीखापन तथा ललित निबंधों का लालित्य विद्यमान है।
डा.शर्मा के व्यंग्यों को पुस्तक का स्वरूप प्रदान करने वाले राजेंद्र बिडकर को अतिथि के हाथों सम्मानित किया गया। नगर की प्रमुख संस्थाओं में नागपुर जिला हिंदी अध्यापक मंडल की ओर से देवव्रत शाही ने, रचना संस्था की ओर से अनिल मालोकर ने, बाबा नानक हायस्कूल की ओर से सुनील ककवानी ने तथा अर्चना संस्था की ओर से कृष्णकुमार भार्गव व अन्य गणमान्यों ने डा.शशिकांत शर्मा का शाल,श्रीफल, पुष्पगुच्छ देकर सत्कार किया।

कार्यक्रम का सूत्र संचालन टीकाराम साहू ने किया तथा नरेंद्र परिहार’एकांत’ने आभार व्यक्त किया। इस अवसर पर नागपुर विद्यापीठ के हिंदी विभागाध्यक्ष डा.मनोज पांडेय, डा.मधुकर वाघमारे, डा.शशि वर्द्धन शर्मा शैलेश,सर्वश्री पी.एन.काशिव,अतुल त्रिवेदी,अनिल त्रिपाठी, दीनानाथ शुक्ल, कृष्णकुमार द्विवेदी,दीपक गायकवाड़, पी बी पंचभाई,कृष्णा नागपाल, तेजवीर सिंह,मीरा रायकवार आदि अनेक गणमान्य उपस्थित थे।

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