नागपुर: अब सोशल मीडिया पर किसी भी व्यक्ति को बदनाम करना यूजर को महंगा पड़ सकता है. वर्तमान में सोशल मीडिया पर महापुरुष, राजनीतिक-सामाजिक नेताओं को बदनाम करने वाले लेख और धार्मिक भावना भड़काने वाले आपत्तिजनक पोस्ट का प्रमाण काफी बढ़ गया है.
सोशल मीडिया द्वारा हो रहे दुरुपयोग को देखते हुए अब किसी भी व्यक्ति, पार्टी या नेता को बदनाम करने वाले आपत्तिजनक पोस्ट किए जाने पर आरोपी को अग्रिम जमानत न दिए जाने का निर्णय मद्रास उच्च न्यायालय द्वारा लिया गया है. 1 अगस्त से पूरे देश में इस आदेश का पालन किया जा रहा है. इसलिए अब यूजर्स को कोई भी आपत्तिजनक पोस्ट करने से पहले सौ बार सोचना पड़ेगा. गलती से भी पोस्ट किए जाने पर यूजर्स को सीधा जेल का रास्ता दिखाया जाएगा.
रिकार्ड होंगी मोबाइल की बातें
आपत्तिजनक पोस्ट के कारण निर्माण हो रहे सामाजिक और वैयक्तिक नुकसान को ध्यान में रखते हुए 1 अगस्त से देश में नया नियम लागू किया जा चुका है. नियम के तहत मोबाइल फोन पर होने वाले सभी संभाषणों को रिकार्ड किया जाएगा. साथ ही वाट्सएप, ट्विटर, फेसबुक समेत अन्य सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर विशेष रूप से कड़ी नज़र रखी जाएगी. इसके लिए सभी डिवाइस (फोन, लेपटाप, कम्प्यूटर) को मिनिस्ट्री के साथ लिंक किया गया है, जिससे अब मजा मस्ती के उद्देश्य से पोस्ट को भी डिलीट नहीं किया जाएगा.
जानिए क्या न करें
राजनीतिक, शासन, मंत्री वर्ग, प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति के बारे मे कोई भी आडियो, वीडियो, इमेज और फारवर्ड पोस्ट न डालें. सोशल मीडिया पर किसी भी संवेदनशील मुद्दे पर पोस्ट या चर्चा करना अपराध है, ऐसा करने पर गैरजमानती वारंट निकाला जाएगा.
पुलिस विभाग ने इस मामले में साइबर सेल को योग्य कार्रवाई करने की सूचना दी गई है. साथ ही ग्रुप पर भी ऐसे पोस्ट करने पर ग्रुप एडमिन परेशानी में आ सकता है.