नागपुर: राज्य सरकार ने नागपुर सहित सभी जिलों में करोड़ों खर्च कर क्रीड़ा संकुलों का निर्माण किया. नागपुर सहित राज्य के सभी क्रीड़ा संकुल के व्यवस्थापन व देखभाल के लिए सरकारी मदद न मिलने से राज्य का प्रतिनिधित्व करने वाले अंतर्राष्ट्रीय दर्जे के खिलाड़ियों के पैदा होने की संभावनाएं कमजोर पड़ने लगी हैं. इन खर्चों के व्यवस्था करने के चक्कर में करोड़ों निधि से निर्मित खेल संकुल परिसर को पहले धार्मिक, कृषि, स्वयंरोजगार, राजकीय आयोजनों के लिए दिए जाने का क्रम शुरू हुआ. अब शादी-समारोह के लिए दिया जाने लगा. एक ओर इस परिसर के आसपास रहने वालों के लिए सुखद खबर है तो वहीं दूसरी ओर खेल प्रेमियों के साथ खिलाड़ियों व सुबह-शाम स्वास्थ्य के प्रति चिंतित नागरिकों द्वारा ‘मॉर्निंग वॉक’ करने वालों के लिए दुखद खबर बतलाई जा रही हैं.
मंगलवार शाम उक्त संकुल परिसर की खुली ट्रैक पर एक शानदार शादी-समारोह का आयोजन किया गया था. इन्होंने संकुल प्रबंधन को सिर्फ खुले मैदान के उपयोग के लिए मात्रा २० हजार रूपए दिए थे और उपयोग खुले परिसर का जरूरतानुसार किया. उपयोगकर्ताओं ने एक दिन पूर्व से अपने कब्जे में जगह को ले लिया था और दूसरे दिन भी जगह उनके ही कब्जे में रहने का अंदेशा रोजाना सुबह-शाम आने-जाने वालों ने व्यक्त किया. उपयोगकर्ताओं ने कल रात इतनी गंदगी की कि उसे साफ़-सफाई करना मुमकिन नहीं. जब वे जगह खाली करेंगे, इसके बाद भी गंदगी वाला हिस्सा तेज बदबू देता रहेंगा. खाद्य पदार्थों की बर्बादी इस कदर की गई है कि जागरुक नागरिकों ने उपयोगकर्ताओं के साथ संकुल के व्यवस्थापन मंडल की तीव्र भर्त्सना की.
ठंड के मौसम की शुरुआत होते ही खेल संकुल में खेल खिलाड़ियों की आवाजाही बढ़ जाती हैं. कल शादी-समारोह के लिए दिए गए संकुल परिसर की जगह पर नित दिन होने वाले खेल में बाधा निर्माण हुई. शाम को खिलाड़ियों को खेलने के लिए जगह उपलब्ध नहीं हो पाएंगी और आज शाम मिल भी गई तो कार्यक्रम परिसर स्थल की ओर गलती से भी गए तो बदबू के साथ फिसलन का सामना करना पड़ेगा.
स्थानीय आप नेता जम्मू आनंद ने राज्य सरकार की नीतियों पर उंगलियां उठाते हुए गंभीर आरोप लगाए. उन्होंने कहा कि मानकापुर में ६५ एकड़ में क्रीड़ा संकुल है, लेकिन अल्प अवधि में यह परिसर को क्रीड़ा से ज्यादा गैर क्रीड़ा कार्यक्रमों के आयोजन के लिए लगाया जाने लगा है. आए दिन राजकीय सभा-समारोह, ढोंगी बाबाओं के प्रवचनों, पेरोल पर छूटे आर्थिक ठगों की भाषणबाजी के कार्यक्रमों को संकुल प्रबंधन तरजीह देने लगा है. इससे खिलाड़ियों में रोष पनप रहा है. वहीं सरकार भी संकुल के मामले में अपने उद्देश्यों से भटक गई है. राज्य सरकार ने अपने ३ वर्ष के कार्यकाल में खेल-खिलाड़ी प्रतियोगिता मामले में जितने भी बयानबाजी की, सारी की सारी बेमानी साबित हुईं.