Published On : Fri, Apr 10th, 2020

विश्व के सिंधी समाज ने आज कोरोना के खात्मे की प्राथर्ना की — मोटवानी

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आज विश्व सिंधी भाषा दिवस के उपलक्ष्य मे।

नागपुर : आज 10 अप्रेल को पूरे विश्व मे विश्व सिंधी भाषा दिवस हर्षोल्लास से मनाया जाता है।। विश्व सिंधी सेवा संगम के महाराष्ट्र के अध्यक्ष प्रताप मोटवानी ने बताया कि राजनैतिक, साहित्यिक व सांस्कृतिक दृष्टिकोण से सिंधी समाज के लिए आज ऐतिहासिक दिवस है। आज ही के दिन यानी 10 अप्रैल 1967 में भारत में सिंधी भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल किया गया था, जिसके बाद सिंधी भाषा को अन्य भारतीय भाषाओं की तरह दर्जा प्राप्त हो गया था। ।इस वर्ष पूरे विश्व मे कोरोना वायरस की महामारी के चलते देश मे लॉक डाउन के चलते हुए पूरे विश्व के सिंधी समाज ने घर पर ही यह दिन मानते हुए वरूण देवता से प्राथर्ना की कि जल्द से जल्द पूरे विश्व को इस खतरनाक वायरस से मुक्त करवाये और पूरे विश्व का मंगल हो।

मोटवानी ने बताया कि 10 अप्रेल को पूरे विश्व के सिंधी समाज द्वारा घर मे सिंधी बोली को बढ़ावा देने का संकल्प किया।।बच्चों को सिंधी बोली सिखाने और अपनी बोली में बात करने और 10 अप्रैल को सिंधी व्यंजन बना कर भोजन किया।। इस अवसर पर पूरे देश के सिंधी समुदाय ने अनेक स्थानों पर जरूरतमंद लोगों को भोजन दान , राशन, बाट कर और ईश्वर की प्राथर्ना कर यह शुभ दिन मनाया।।।नागपुर में भी विश्व सिंधी सेवा की टीमों ने सेवा कार्य कर विश्व सिंधी भाषा दिन मनाया।।

मोटवानी ने बताया कि आधुनिक भारतीय भाषाओं में सिंधी बोली के रूप मे संस्कृत के सर्वाधिक निकट है। सिंधी के सत्तर प्रतिशत शब्द संस्कृत मूल के है, यह मान सकते कि सिंधी नितांत संस्कृत मूल की भाषा है।

गुजरात के कच्छ जिले में सिंधी भाषा को कच्छी भाषा कहते है।इसका संबंध आर्य भाषा परिवार से है जिसमे संस्कृत समेत हिंदी पंजाबी और गुजराती व अन्य भाषाएं समिलित है।मोटवानी ने बताया कि विश्व सिंधी भाषा दिवस के दिन यह भी संकल्प लिया गया कि घर पर रह कर ही और सोशल दूरी बना कर, प्रशासन द्वारा दिये गए निर्देशों का पालन करेंगे।।और इसके लिए व्हाट्सएप और सोशल मीडिया के माध्यम से कोरोना से जुड़ी बातों की लोगों और समाज मे जागरूकता करवाएंगे।